मध्यप्रदेश : कमलनाथ सरकार ने पलटा शिवराज सरकार का फैसला, वापस मांगे वो 57 करोड़ रुपए जो...
Bhopal News, भोपाल। सत्ता पलटने के साथ पूर्व की सरकार के फैसले भी अक्सर पलट दिए जाते हैं। मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही हुआ है। कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें भजन मंडलियों को 57 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। भाजपा सरकार के समय जिला कलेक्टरों व जिला परिषद के सीईओ के माध्यम से दी गई यह राशि भजन मंडलियों को ढोल-मंजीरे व अन्य वाद्य यंत्रों की खरीद में खर्च करनी थी।
मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान ने जुलाई 2018 में प्रदेश की 22 हजार 824 ग्राम पंचायतों में भजन मंडलियों को प्रोत्साहित करने के लिए 57.60 करोड़ रुपए बांटे थे, जो नई सरकार ने वापस मांग लिए हैं। इस संबंध में सोमवार को सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है। आदेश में सभी संभागायुक्त, कलेक्टर और सीईओ प्रति ग्राम पंचायत बांटी गई 25-25 हजार रुपए की राशि जल्द संस्कृति विभाग में जमा कराने का कहा गया है।
क्या थी Dhol manjira योजना
दरअसल, BJP GOVT ने भजन-कला मंडलियों के लिए वाद्य यंत्र खरीदने की योजना बनाई थी। मंडलियों को गांवों की चौपाल और आयोजनों में रामकथा और भजन गाना थे। संस्कृति संचालनालय की मद से जारी राशि से कुछ पंचायतों ने ढोल-ताशे, झांझ-मंजीरे, ढपली और हारमोनियम की खरीद की, जबकि कई पंचायतें खरीद नहीं कर पाईं। फिर अक्टूबर 2018 में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई, जिसके कारण ज्यादातर जिलों में राशि खर्च ही नहीं हो पाई। इसलिए नई ने यह राशि वापस मांग ली है।
पता ही नहीं कितनी राशि हो गई खर्च
सरकार में अभी यह तय नहीं हो पाया है कि वापस राशि आने के बाद इसका क्या उपयोग होगा। 57.60 करोड़ में से कितनी राशि खर्च हो चुकी है, इसका भी जिलों ने हिसाब नहीं दिया है। शासन ने अपने आदेश में विवाद से बचने के लिए कला मंडलियों को परिपोषित करने के लिए नई संपूर्ण योजना लाने की बात कही है।
इस फैसले की मैं निंदा करता हूं
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का इस संबंध में कहना है कि कांग्रेस सरकार भजन व संस्कृति को पसंद नहीं कर रही। मैं भजन मंडलियों को जारी की गई राशि वापस मंगवाए जाने के फैसले की निंदा करता हूं। सभी गांवों में लोगों को इसका विरोध करना चाहिए। मध्यप्रदेश की नई सरकार के मुख्यमंत्री व मंत्री अपने बंगलों को चमकाने पर राशि खर्च कर रहे हैं जबकि भजन मंडलियों के प्रोत्साहन की राह में रोड़ा अटका रहे हैं।