सीधी के दशरथ मांझी ने पत्नी के लिए किया कमाल, पानी के लिए पहाड़ में खोद डाला कुआं
सीधी, 9 जून: द माउंटेन मैन के नाम से विख्यात गहलौर गांव (गया, बिहार) के दशरथ मांझी की कहानी तो आपने सुनी होगी। पहाड़ के कारण वे अपनी पत्नी को अस्पताल नहीं पहुंचा पाए थे और पत्नी की मौत हो गई थी। बस्ती के दूसरे लोगों को ऐसी समस्या न हो, इसलिए उन्होंने अकेले पहाड़ तोड़कर रास्ता तैयार कर दिया था। मध्यप्रदेश के सीधी जिले के हरी सिंह गोड़ की कहानी भी दशरथ मांझी से कम नहीं। परिवार के सूखे कंठों की प्यास बुझाने के लिए हरी ने अकेले ही चट्टान तोड़कर 60 फीट गहरा कुआं खोद डाला। यह काम इतना आसान नहीं था, लेकिन 40 वर्षीय आदिवासी युवक हरी सिंह की जिद और जुनून ने इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। उनके परिवार ने भी साथ निभाया। लगभग एक साल की मेहनत के बाद जब कुएं से अमृतधारा निकली तो परिवार केसदस्यों की आंखें खुशीसे भीग उठीं।
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नहीं देखी गई पत्नी की परेशानी
सीधी जिले की जनपद पंचायत सिहावल अंतर्गत बंरवंधा निवासी हरी सिंह को वनाधिकार अधिनियम के तहत बैगान पहाड़ी पर पट्टा मिला है। पहाड़ी पर वह अपनी पत्नी, दो बेटों, एक बेटी व भाई के बेटे के साथ घर बनाकर रह रहा है। परिवार को पहाड़ी से करीब 500 मीटर नीचे बस्ती में लगे हैंडपंप तक जाना पड़ता था। उसने पेयजल व्यवस्था के लिए सरपंच और वन विभाग के चक्कर लगाए, लेकिन बात नहीं बनी। अतत: पहाड़ी पर ही कुआं खोदने का निर्णय लिया।
एक साल की मेहनत
हरी ने 2021 में अकेले ही कुआं खोदने का निर्णय परिवार को सुनाया तो सभी ने मना कर दिया। वह जिद पर अड़ा रहा तो पत्नी सियावती (35), बेटा शिवबहादुर (17), बंशबहादुर (15), बेटी अनीता (12) तथा भतीजा ऊदल सिंह (20) ने भी मदद की। चट्टान तोड़ने के बाद खुदाई शुरू की। करीब एकवर्ष की मेहनत रंग लाई।
हरी सिंह गोड़ ने बताया
60 फीट गहरा कुआं खोदने के बाद पर्याप्त पानी के लिए अभी इसे और गहरा किया जा रहा है।