Bandhavgarh Tiger Reserve: हाथियों के आतंक से बचने के लिए गाँव वालो ने बनाया पटाखे को हथियार
उमरिया, 6 सितंबर। जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्रों में जंगली हाथियों का उत्पाद वन विभाग और टाइगर रिजर्व के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में लगातार जंगली हाथियों की हलचल देखी जा रही है। जंगली हाथी गांव और खेतों में पहुंच कर नुकसान भी पहुंचा रहे हैं।
इन क्षेत्रों में हाथियों का आतंक
टाइगर रिजर्व पतौर, पनपथा और खितौली परिक्षेत्रों में जंगली हाथी उत्पाद मचा रहे हैं। पतौर परिक्षेत्र के खेतों में हाथी धान की फसल को नुकसान पहुंचाने पहुंचे थे, लेकिन ग्रामीणों और टाइगर रिजर्व प्रबंधन के कर्मचारियों ने पटाखे फोड़ के उन्हें खदेड़ दिया।
पटाखे और शोर मचाकर खदेड़ा
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पहुंचे हाथी गांवों के नजदीक खेतों में पहुंच गए। इसके बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन के कर्मचारियों ने पटाखे फोड़ कर और गांव वालों की मदद से शोर मचाकर जंगली हाथियों को खेत से खदेड़ा। वहीं ग्रामीणों की मानें तो हाथियों के फसल नुकसान के बाद राजस्व विभाग मुआवजा में देरी करता है। जिसके कारण ग्रामीणों को परेशानी होती है।
3 महीने पूर्व भी था हाथियों का आतंक
3 महीने पूर्व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व सहित आसपास के क्षेत्र में जंगली हाथियों की हलचल के बाद से ही ग्रामीण दहशत थे। लगातार जंगली हाथियों के दिखने से और फसलों सहित घरों में कितने जा रहे नुकसान से ग्रामीण परेशान भी थे। टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारी भी जंगली हाथियों को लेकर अलर्ट में रहते हैं।
घरों को पहुंचाया था नुकसान
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व कोलुहा बाह के घरों को काफी नुकसान पहुंचाया था। घरों में रह रहे ग्रामीण जन जान बचाकर भागे थे। वहीं, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारी कर्मचारी लगातार हाथी मूवमेंट वाले क्षेत्रों में गश्त कर रहे थे। ग्रामीण से भी अपील की जा रही थी कि हाथियों की मूवमेंट मिलते ही प्रबंधन को जानकारी दें।
रातभर कर रहे जागरण
हाथियों के आतंक के कारण अपनी फसलों को बचाने के लिए ग्रामीणों को रात-रात भर जागरण करना पड़ रहा है। यहां रहने वाले किसानों ने बताया कि जंगली हाथियों का झुंड कभी भी यहां पहुंच जाता है जिसकी वजह से उन्हें रात में जागरण करना पड़ता है। जंगली हाथियों के आने की आहट होते ही ग्रामीण उन्हें वहां से भगाने के लिए उन तरीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, जिसे उन्हें अभी तक बताया गया है। ग्रामीण जंगल के क्षेत्र से लगे हुए खेतों में बिना साइलेंसर वाले ट्रैक्टर खड़े रखते हैं ताकि हाथी आए तो उन्हें चालू करके तेज आवाज की जा सके। साथ ही तेज आवाज करने के लिए टिन और डब्बे भी रखते हैं बजाकर बजाकर वे हाथियों को भगा देते हैं। इसके अलावा हाथियों को भगाने के लिए गांव के लोग पटाखे और मसाल भी जलाते हैं हालांकि यह काफी महंगा और जटिल कार्य है।