तीन साल के बच्चे ने निगली 5 सेमी लंबी मूर्ति, माता-पिता की समझदारी से बच गई जान
लगभग 5 सेंटीमीटर लंबी भगवान गणेश की मूर्ति को निगलने वाले तीन साल के बच्चे की कर्नाटक के बेंगलुरु में तत्काल चिकिस्ता मिलने से चमत्कारी रूप से जान बच गई।
बेंगलुरु, 24 जुलाई। लगभग 5 सेंटीमीटर लंबी भगवान गणेश की मूर्ति को निगलने वाले तीन साल के बच्चे की कर्नाटक के बेंगलुरु में तत्काल चिकिस्ता मिलने से चमत्कारी रूप से जान बच गई। बच्चे बसवा को शुक्रवार को ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित मणिपाल अस्पताल ले जाया गया। बच्चे ने उस समय मू्र्ति को निगल लिया जब वह खेल रहा था।
बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया
मूर्ति निकलने के बाद बच्चे ने छाती के ऊपरी हिस्से में दर्द और लार निगलने में कठिनाई होने जैसे लक्षण दिखाए, तब जाकर घर वालों को किसी खतरे का ऐहसास हुआ। उसे तुरंत आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया। शुरुआत में डॉक्टरों ने छाती और गर्दन का एक्स-रे किया, जिससे उसके शरीर में एक मूर्ति की पुष्टि हुई। बच्चे के पेट में मूर्ति की पुष्टि होने पर डॉक्टरों ने एंडोस्कोपीक माध्यम से मूर्ति को बाहर निकालने की योजना बनाई। एक घंटे के भीतर उसे एंडोस्कोपी कक्ष में ले जाया गया और उस बच्चे को एनेस्थीसिया दिया गया।
मूर्ति निकालने में सफल हुए डॉक्टर
अंतत: डॉक्टरों ने उसके पेट से मूर्ति निकालने में सफलता हासिल की। उसके शरीर से सफलतापूर्वक मूर्ति को निकालने के बाद बच्चे को देखरेख में रखा गया और 3 घंटे के बाद उसे भोजन दिया गया। लड़के ने बिना किसी समस्या के भोजन खा लिया। बच्चे को खाने पीने में कोई समस्या न होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। पीडियाट्रिक गैस्टोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. श्रीकांत के.पी ने मीडिया को बताया कि मूर्ति से अन्नप्रणाली में चोट लग सकती थी और उसकी छाती में संक्रमण हो सकता था। इसके अलावा बच्चा कुछ भी निगल पाने में सक्षम नहीं था, जिसकी वजह से उसे और भी समस्याएं हो सकती थीं।
माता-पिता की समझदारी से बचा बच्चा
मणिपाल अस्पताल, ओल्ड एयरपोर्ट रोड के अस्पताल निदेशक डॉ. मनीष राय ने कहा, जब वे रोगी को बाल चिकित्सा एमरजेंसी में लाए तो उसका तुरंत उपचार किया गया। लड़के की आवश्यक जांच की गई तो लड़के को तुरंत प्रक्रिया कक्ष में शिफ्ट कर दिया गया। हमारी एनेस्थीसिया और गैस्ट्रोएंटेरेलॉजिस्ट टीम ने तुरंत एक्शन लिया और बच्चे को बचा लिया। डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि बच्चे के माता-पिता ने बिना समय बर्बाद किए बच्चे को अस्पताल ले आए। बच्चे को बचाने में उसके माता-पिता की भूमिका अहम रही। माता-पिता को बच्चों से चीजों को दूर रखना चाहिए और उन्हें भी चौकस रहना चाहिए।