गैंगरेप मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को झटका, MP-MLA स्पेशल कोर्ट ने जमानत देने से किया इन्कार
प्रयागराज। गैंग रेप मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को प्रयागराज की एसपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने झटका दिया है। उनकी अर्जी को नामंजूर करते हुये जमानत देने से इन्कार कर दिया है। स्पेशल कोर्ट ने जमानत नामंजूर करते हुये कहा कि गायत्री प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति होने के कारण गवाहों को प्रभावित करने के साथ साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते है। जबकि वह इस मामले में मुख्य आरोपी भी है और अभी साक्ष्यों पर केस आगे बढ़ रहा है। ऐसे में उनकी अर्जी स्वीकार करने योग्य नहीं है।
क्या है मामला
स्पेशल कोर्ट में चल रहे मुकदमे के अनुसार मामला 3 साल पहले 2016 का है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक महिला ने गैंग रेप करने व बेटी के साथ भी रेप करने के प्रयास का आरोप लगाया। इस सनसनीखेज आरोप के बाद पूरे यूपी में हडकंप मचा, अखबारों से लेकर टीवी चैनलों में सुर्खियां बनी और फिर लखनऊ के गौतम पल्ली थाने में गायत्री आदि पर गैंग रेप आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमें में आरोप है कि पीड़िता को बालू खनन में काम दिलाने के लिए अशोक तिवारी के माध्यम से मंत्री गायत्री प्रजापति ने बुलाया था। वह गायत्री के गौतमपल्ली आवास पर उनसे मिलने पहुंची। जहां चाय में नशीला पदार्थ मिला कर उसे पिला दिया गया और जब वह बेहोश हो गयी तो मंत्री प्रजापति और अशोक ने उसके साथ गैंग रेप किया।
महिला ने लगाया था ब्लैकमेल करने का भी आरोप
इस दौरान महिला की अश्लील फोटो निकाल ली गयी और फिर उसे ब्लैकमेल करके बार बार बुलाया जाता और उसका रेप किया जाता। महिला ने बताया कि मंत्री और उसके साथी यहीं नहीं रूके कुछ दिन बाद मंत्री के आवास पर पिंटू सिंह, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला, चंद्रपाल और रूपेश तिवारी ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया था। लेकिन इन लोगों की नियत जब महिला की बेटी पर खराब हुई और उसके साथ भी रेप का प्रयास किया गया तो महिला बर्दाश्त नहीं कर सकी और और पुलिस में शिकायत की। केस वापस लेने के लिए महिला व उसके परिजनों ने आरोपियों द्वारा दबाव बनाया जाने लगा और धमकियां मिलने लगी। हालांकि मामले के मीडिया में आने के बाद सरकारी तंत्र का रूख कड़ा हुआ और गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी हो गयी। इसके बाद से प्रजापति जेल में बंद हैं और लगातार जमानत के लिये अदालत का शरण ले रहे हैं।
अब तक की केस अपडेट
गायत्री पर दर्ज मुकदमे व गिरफ्तारी के बाद पहली बार गायत्री ने लखनऊ जिला जज की कोर्ट में चल रहे मुकदमें से जमानत के लिये अर्जी दाखिल की थी। जिसे 25 अप्रैल 2017 को अदालत ने मंजूर कर दिया। इसके बाद पीड़ित महिला ने हाईकोर्ट की शरण ली और जिला अदालत के आदेश को चैलेंज किया, जिस पर हाईकोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुये जमानत मंजूर होने के आदेश पर रोक लगा दी और जिला न्यायालय को जमानत पर फिर से सुनवाई का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला न्यायालय लखनऊ ने फिर से जमानत अर्जी पर सुनवाई की और 27 सितंबर 2017 को गायत्री प्रसाद प्रजापति की जमानत निरस्त कर दी। हाईकोर्ट ने जिला जज लखनऊ के 27 सितंबर 2017 वाले आदेश को सही माना और 14 दिसंबर 2017 को जमानत अर्जी निरस्त कर दी थी।
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