कौन हैं केशरी देवी पटेल, जिन्हें फूलपर से भाजपा ने दिया टिकट
Prayagraj news, प्रयागराज। देश की सबसे हाट सीटों में से एक फूलपुर लोकसभा से भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिये हैं। जैसा की पहले ही अनुमान था भाजपा यहां से किसी पटेल बिरादरी के उम्मीदवार को टिकट देगी, वैसी ही रणनीति पर भाजपा चली है। विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा छोड़कर वापस भाजपा में आयी और स्थानीय जातिगत राजनीति में बड़ी पहुंच रखने वाली केशरी देवी पटेल को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
वर्षों से राजनीति में सक्रिय है केशरी का परिवार
केशरी देवी पटेल प्रयागराज जिले की राजनीति को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं और वर्षों से उनका परिवार राजनीति में सक्रिय है। केशरी देवी पटेल इससे पहले भी फूलपुर से चुनाव लड़ चुकी हैं, हालांकि तब बाहुबली अतीक अहमद ने उन्हें पटखनी दी थी और वह दूसरे स्थान पर रही थीं, लेकिन इसी चुनाव से तय हो गया था कि आने वाले दिनों में इस सीट से केशरी की दावेदारी सबसे मजबूत होगी। जिसका प्रभाव अब देखने को मिला है और फूलपुर से कई बड़े नामों की दावेदारी के बीच केशरी ने बाजी मारी है।
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केशरी देवी का राजनैतिक सफर
केशरी देवी पटेल के राजनैतिक सफर की शुरुआत या कहें की साथी भाजपा ही थी। पहली बार केशरी देवी पटेल भाजपा से जिला पंचायत सदस्य चुनी गयीं। फिर तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर जिला पंचायत अध्यक्ष बन गयी। यहीं से केशरी देवी का कद प्रयागराज की राजनीति में नजर आया और जोड़तोड़ के साथ जातिगत राजनीति में उनकी पैठ की शुरूआत हुई। हालांकि, स्थानीय राजनीति में सपा-बसपा के हावी होने से व लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और बसपा में ही अपना कद बढ़ाने लगी। जिसका परिणाम यह रहा कि केशरी देवी 4 बार जिला पंचायत अध्यक्ष रही, लेकिन सबसे बड़ा सफर उन्होंने 2004 में तय किया जब उन्हे बसपा ने फूलपुर लोकसभा से टिकट दिया।
फूलपुर से हार गईं चुनाव
फूलपुर लोकसभा चुनाव में केशरी का सामना बाहुबली नेता अतीक अहमद से हुआ जो सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। केशरी देवी ने जातिगत गणित के सहारे अच्छी फाइट भी की, लेकिन मुस्लिम वोटों को एक तरफा मोड़ने व बसपा से मुस्लिम वोटों का पूरी तरह से यहां बिखर जाना केशरी की हार की बड़ी वजह बन गया, जिससे केशरी देवी पटेल इस चुनाव में दूसरे स्थान पर रहीं। हालांकि, 2014 में बसपा ने फिर से केशरी देवी पर भरोसा जताया और इलाहाबाद संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन इस बार मोदी आंधी में केशरी की बस शाख बच पायी थी और उनकी जीत की उम्मीद पूरी तरह बिखर गयी।
श्यामा चरण गुप्ता ने मारी बाजी
इस चुनाव में श्यामा चरण गुप्ता ने बाजी मारी और दूसरे स्थान पर सपा के रेवती रमण रहे, लेकिन यहां केशरी देवी तीसरे स्थान पर फिसल गयी थीं। हालांकि, यूपी में जब विधानसभा चुनाव हुये और भाजपा की आंधी में सपा बसपा धाराशाही हुई तो जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी समेत बेटे की विधायकी भी चली गयी। यूपी में बने रहे नये समीकरणों को केशरी देवी ने भांप लिया और राजनीति में सही समय पर दल बदलने की रणनीति का फायदा उठाकर भाजपा में वापसी का प्रयास शुरू कर दिया। केशव मौर्य से नजदीकी का फायदा उठाते हुये केशरी ने मौका देखकर अपने विधायक बेटे के साथ भाजपा का दामन थाम लिया, जिसका फायदा अब केशरी को मिल गया है और वह भाजपा की फूलपुर से प्रत्याशी बनायी गयी हैं।
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