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अखिलेश के राज में हुए 134 से ज्‍यादा सांप्रदायिक दंगे

By Ajay Mohan
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लखनऊ/मुजफ्फरनगर। उत्‍तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर जल रहा है। अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। पूरा शहर व आस-पास के गांव अब सेना के हवाले कर दिये गये हैं। पुलिस उपद्रवियों की धरपकड़ में लगी है। अधिकारियों के तबादले और विरोधी दलों के तीखे वार जारी हैं। लेकिन इन सबके बीच जो एक बात निकल कर सामने आ रही है वो है अखिलेश सरकार की नाकामी। हम यहां सिर्फ एक सवाल पूछेंगे? अगर अखिलेश सरकार इतनी ही सक्षम है, तो उनके कार्यकाल में अब तक 134 से ज्‍यादा बार सांप्रदायिक हिंसा कैसे भड़की?

यह सुनकर आप चौंक जाएंगे कि अखिलेश के राज में अब तक 134 बार अलग-अलग जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा फैल चुकी है। इसमें पिछले साल के मुरादाबाद, मेरठ, अयोध्‍या और बरेली के दंगे भी शामिल हैं। यह हम नहीं बल्कि यूपी पुलिस का रिकॉर्ड रजिस्‍टर कह रहा है, जिसमें छोटी से छोटी सांप्रदायिक झड़प से लेकर बड़े से बड़े दंगे सभी शामिल हैं।

अगर अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुए प्रमुख दंगों की बात करें, तो फेहरिस्‍त बहुत लंबी है, हालांकि हम कुछ दंगों पर स्‍लाइडर में प्रकाश डाल रहे हैं, जो साफ तौर पर सरकार की नाकामी को बयां करते हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 2012 में सांप्रदायिक हिंसा के 134 मामले दर्ज किए गए।

रिपोर्ट के अनुसार इन दंगों में 58 लोगों की मौत हुई और 456 जख्मी हुए। वहीं सीएम का दावा है कि 2012 में मात्र 27 दंगे हुए। अखिलेश के कार्यकाल में अबतक मुजफ्फरनगर, मथुरा, बरेली, अयोध्‍या और गाजियाबाद के दंगे सबसे ज्यादा भड़के। अखिलेश के राज में कुछ बड़े दंगों की लिस्‍ट स्‍लाइडर में।

7 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर में

7 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर में

26 अगस्‍त को हुई वारदात के बाद दो गुटों में तीखी झड़प 7 सितंबर को हुई, जिसमें आगजनी, लूटपाट, व घर जलाने की वारदातों में 28 लोग मारे गये। यहां पर सरकार को सेना बुलानी पड़ी।

4 सितंबर, 2013 को शामली में

4 सितंबर, 2013 को शामली में

शामली जिले में तो 4 सितंबर को दंगे भड़के, जिसमें दो लोगों की मौत हुई। दो गुटों की झड़प में जमकर आगजनी हुई, जिसमें एक दर्जन से ज्‍यादा लोग घायल हुए।

2 अगस्‍त 2013 को लखनऊ में

2 अगस्‍त 2013 को लखनऊ में

पिछले महीने रमजान के दौरान लखनऊ में दो गुटों में झड़प के बाद हिंसा भड़क गई। इसे देखते हुए पुराने लखनऊ में कर्फ्यू लगाना पड़ा।

25 अक्‍तूबर, 2012 फैजाबाद में

25 अक्‍तूबर, 2012 फैजाबाद में

अक्‍तूबर 2012 में फैजाबाद में रात को दो गुटों में झड़प हो गई, जिसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा। इस हिंसा की आग बाराबंकी तक फैली।

14 सितंबर 2012 गाजियाबाद में

14 सितंबर 2012 गाजियाबाद में

सितंबर 2012 में पुलिस और मुसलमानों के बीच झड़प के बाद दंगे हुए, जिसमें एक बच्‍चे की मौत हो गई और 12 लोग घायल हुए।

7 अगस्‍त 2012 को प्रतापगढ़ में

7 अगस्‍त 2012 को प्रतापगढ़ में

अगस्‍त 2012 में प्रतापगढ़ के सनेही गांव में दो गुटों के बीच टेम्‍पों का किराया ज्‍यादा लिये जाने पर झड़प हो गई। देखते ही देखते इस झड़प ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया।

6 अगस्‍त 2012 को बरेली में

6 अगस्‍त 2012 को बरेली में

बरेली में पिछले साल अगस्‍त में ही धार्मिक जुलूस के वक्‍त दो गुटों में झड़प हुई, जिसके बाद शहर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा।

27 जुलाई 2012 को मेरठ में

27 जुलाई 2012 को मेरठ में

पिछले साल मेरठ में सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और 12 अन्‍य घायल हुए।

22 जुलाई 2012 को बरेली में

22 जुलाई 2012 को बरेली में

पिछले साल जुलाई में बरेली में हुए दंगों में चार लोगों की जानें चली गईं। इस हिंसा की शुरुआत कांवरियों और मुसलमान युवक के बीच हुई छोटी सी झड़प से हुई थी।

30 जून, 2012 प्रतापगढ़ में

30 जून, 2012 प्रतापगढ़ में

प्रतापगढ़ में 30 जून को अस्‍थान गांव में सांप्रदायिक हिंसा भड़की जो 10 दिन तक चली। यह हिंसा तब भड़की जब चार मुसलमान लड़कों ने 13 साल की हिन्‍दू दलित बच्‍ची के साथ सामूहिक बलात्‍कार कर उसकी हत्‍या कर दी।

1 जून 2012 को मथुरा में

1 जून 2012 को मथुरा में

मथुरा में पिछले साल जून में दो संप्रदायों के लोग तब भिड़ गये जब किसी ने धार्मिक अनुष्‍ठान के वक्‍त पानी को अपवित्र कर दिया। इस हिंसा में चार लोग मारे गये।

English summary
Whole district of Muzaffarnagar including villages is burning in communal riots. This is actually failure of Akhilesh Yadav. Here are the list of riots in his regime.
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