'कौन बनेगा पीएम' के खेल में अब सपा भी झुलसी
लखनऊ (नवीन निगम)। लोकसभा चुनाव में सपा की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार मुलायम सिंह को उनके घर से ही अब चुनौती मिलने लगी है। आजम खां ने मनमोहन सिंह को पीएम पद का उम्मीदवार बताकर सपा सुप्रीमो को साफ कर दिया है कि यदि उन्होंने भाजपा की तारीफ करना बंद नहीं किया तो वह इसे बर्दाश्त नहीं करने वाले। ज्ञात हो कि पिछली बार भी जब अमरसिंह के कहने पर मुलायम, कल्याण सिंह को सपा के नजदीक लाए थे तब आजम खां पार्टी से अलग हो गए लेकिन मुलायम सिंह के खिलाफ नहीं बोले जब कल्याण से मुलायम सिंह की पार्टी ने किनारा कर लिया तब ही वह पार्टी में वापस लौटे।
आजम का ताजा बयान इसलिए सपा के लिए खतरनाक है कि उन्होंने इस बार न केवल भाजपा प्रेम का विरोध किया है बल्कि सपा की दिशा भी तय कर दी है कि यदि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह प्रधानमंत्री नहीं बनते है तो सपा कांग्रेस के साथ जाएगी। भाजपा के साथ नहीं, और एक तरह से वह सपा से यह आश्वासन चाहते है कि वह यह साफ कर दे कि मुलायम के प्रधानमंत्री न होने की दशा में सपा की रणनीति क्या होगी। दरअसल कल्याण और अमरसिंह के सपा से जाने के बाद जब आजम खां मान मनौव्वल के बाद पार्टी में लौटे तो उन्हें लगा कि पार्टी में उनकी हैसियत मुलायम के बाद हो गई है।
राजनीति के हिसाब से लग भी रहा था लेकिन जब मुलायम ने अखिलेश के पक्ष में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी तो आजम खां इसे मुलायम की चाहत कह कर बर्दाश्त कर गए। लेकिन पिछले दिनों जैसी ही मुलायम ने राजनीतिक चतुराई दिखाते हुए भाजपा की तारीफ शुरू की उससे मुसलमानों में इस नीति का विरोध शुरू हो गया। आजम खां ने इसे अच्छा मौका मानते हुए मनमोहन को तीसरी बार पीएम पद का प्रत्याशी घोषित करके एक तरफ जहां अपनी पार्टी को चेतावनी दे डाली वहीं कांग्रेस में भी पीएम पद के प्रत्याशी में मनमोहन को लाकर खड़ा कर दिया।
दरअसल सपा में दो लोग ही नेता है एक मुलायम सिंह और दूसरे आजम खां। आजम खां के पर कतरने की कोशिश सपा में कई बार हुई। कभी बुखारी को लाकर, कभी किसी अन्य मुस्लिम नेता को आगे बढ़ाकर आजम खां पर नियत्रंण करने की भरसक कोशिश की गई लेकिन आजम खां मुसलमानों के लिए अपनी राजनीति में कभी पीछे नहीं हटे। लेकिन इस बार उन्होंने मनमोहन सिंह को तीसरी बार पीएम बताकर सपा को साफ संकेत दिया है कि यदि इस बार किसी कारणवश उन्हें सपा से हटना पड़ा तो उनका अगला पड़ाव क्या होगा।