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गांव जहां महिलाएं करती हैं गांजा की खेती!

By रामलाल जयन
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Bundelkhand women producing marijuana
जालौन। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में कुछ महिलाएं गांव और समाज सुधार में जुटी हैं तो कहीं खुद ही मादक पदार्थों की तस्करी कर ‘कोरचा' कमा रही हैं। एक ऐसा ही गांव जालौन जनपद में माधौगढ़ थाना क्षेत्र से कुछ दूरी पर बसा ‘हरौली' है, जहां की ज्यादातर महिलाएं ‘गांजा' की सरेआम खेती कर अंतर्राज्यीय तस्करों के नेटवर्क से जुड़ी हैं। पुलिस सब कुछ जान कर भी अनजान बनी हुई है।

बुंदेलखंड में जालौन जनपद के माधौगढ़ थाना क्षेत्र से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे हरौली गांव की आवादी तकरीबन चार हजार के आस-पास है। यहां अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवार खेती-किसानी के जरिए अपने परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं। आर्थिक ढ़ांचा मजबूत करने के लिए अब यहां की अधिकतर महिलाएं गांजा की तस्करी से जुड़ गई हैं और सरेआम गेहूं-चना के सरीखे ‘गांजा' की खेती करने में लिप्त हो गई हैं।

150 एकड़ भूमि पर गांजे की फसल

इस साल करीब 150 एकड़ कृषि भूमि में गांजा की फसल लहलहा रही है। इस मादक पदार्थ की तस्करी की वजह से यहां की महिलाओं के पास पुरुशों की अपेक्षा ज्यादा बैंक बैलेंस जमा है। महिलाएं इससे अर्जित रकम को ‘कोरचा' (निजी आमदनी) का दर्जा देती हैं। गांव के ग्राम प्रधान रामतीरथ दोहरे बताते हैं कि पांच साल पूर्व तक गांजा की खेती का चलन नहीं था, पहले चोरी-छिपे घरों में इक्का-दुक्का लोग ही इसका पौध उगाते रहे हैं। पर, अब सरेआम इसकी खेती की जाने लगी हैं। वह बताते हैं कि इस साल करीब डेढ़ सौ एकड़ भूमि में खुलेआम गांजा की फसल लहलहा रही है।

गांजा की खेती कर रही एक महिला गंगा देवी बताती हैं कि पिछले साल उसने दस विस्वा भूमि में गांजा की फसल उगाई थी और छह लाख रुपए का गांजा बेंच कर ‘कोरचा' कमाया था, अबकी बार उसने एक बीघा भूमि में यह फसल बोई है। वह बताती है कि गांजा की बिक्री के लिए किसी भी महिला को ग्राहक की तलाश नहीं करनी पड़ती, राजस्थान व मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से कारोबारी खुद यहां आकर थोक में खरीद कर ले जाते हैं।

पुलिस से मुकाबले को तैयार महिलाएं

पुलिस कार्रवाई के बारे में यह महिला बताती है कि सबसे बड़ी बात यह है कि कोई एक-दूसरे की शिकवा-शिकायत नहीं करता। अगर पुलिस खेतों की तरफ जाए तो गांव की सभी महिलाएं लामबंद होकर उसका मुकाबला करने को खुद तैयार रहती हैं। एक अन्य महिला रामरती ने बताया कि उसके पास खुद की कृशि भूमि नहीं है, उसने अपनी सहेली गायत्री से दस विस्वा जमीन बटाई (अधियां) में ली है और खाद-बीज उधार लेकर पहली बार खेती की शुरुआत की है।

गांजा की खेती करने वाली महिलाएं बताती हैं कि ‘दलहन-तिलहन की फसल से कम लागत में गांजा की फसल तैयार हो जाती और आमदनी ज्यादा मिलती है। गांव के युवा जितेन्द्र सिंह चैहान का कहना है कि गांजा की खेती से भले ही महिलाओं की आमदनी में इजाफा हो रहा हो, पर यह पारिवारिक भविश्य के लिए बेहद घातक साबित होगा। अब हालात यह बन गए हैं कि ज्यादातर महिलाएं इस गैर कानूनी खेती की रखवाली में ही समय बिता रही हैं।

वह बताते हैं कि इस खेती को बंद करने की सलाह देने पर घरों में गृह कलह की स्थिति पैदा हो रही है। हरौली गांव में महिलाओं द्वारा की जा रही गांजा की अवैध खेती के बारे में जालौन के पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद का कहना है कि ‘क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारी से जांच कराई जाएगी, यदि गांजा की खेती करने की शिकायत सत्य पाई गई तो महिलाओं के साथ माधौगढ़ पुलिस के भी खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

माधौगढ़ पुलिस ने इस खेती के बारे में अनभिज्ञता जताई है, थानाध्यक्ष का कहना है कि ‘इस गांव में बीट का सिपाही तैनात है, जो प्रतिदिन गश्त पर जाता है। उसके द्वारा अब तक किसी भी गैर कानूनी कारोबार की सूचना नहीं दी गई।

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English summary
Most of the women in a village of Jalaun district have been involved in producing marijuana, the plant which use to be a main source of drugs.
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