हरियाणा न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

ईमानदार अफसरों को ईनाम में मिलता है ट्रांसफर

By अशोक छाबड़ा
Google Oneindia News

Why Ashok Khemka transfered
जींद। हरियाणा सरकार द्वारा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का तबादला कर दिए जाने के साथ ही जहां यह मसला राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना है वहीं विपक्ष ने भी हुड्डा सरकार को निशाने पर ले लिया है। यह अलग बात है कि विपक्ष की राजनीति करने वाले नेता अपने शासनकाल में किए गए इस तरह के कार्यों को दरकिनार कर रहे हैं।

सत्ताधारी दल द्वारा दबंग व ईमानदार अफसरों को बार-बार तब्दील करने व उन्हें लाइन में लगाने की प्रथा नई नहीं है। हुड्डा सरकार तो पुरानी सरकारों की प्रथा का अनुसरण कर रही है, क्योंकि किसी भी सरकार के मुखिया को हजम नहीं होता कि कोई अधिकारी उसकी बात को टाले या उसके फरमान का विरोध करे। चाहे कोई अधिकारी जनता के हित में काम करे और जनता उसके कामों से संतुष्ट हो लेकिन सत्ताधारी नहीं चाहते कि कोई अधिकारी अपने कार्यों से जनता में मशहूर हो।

सत्ताधारियों का केवलमात्र एक मकसद अधिकारी वर्ग से अपने सक्षम पूंछ हिलवाना है। पूर्व की सरकारों में भी जिस-जिस अधिकारी ने सत्तारूढ़ दल का सार्वजनिक रूप से विरोध किया, उसी अधिकारी को खुड्डे लाइन लगना पड़ा। अशोक खेमका प्रकरण भी नया नहीं है लेकिन अपने पुराने फैसलों को भूलकर इस मसले पर इस बार विपक्ष एकजुट है। अशोक खेमका का प्रकरण इसलिए ज्यादा चर्चा में आ गया कि उन्होंने वडेरा व डीएलएफ के बीच हुई डील रद्द कर दी अन्यथा चर्चा तो यहां तक है कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वीएन राय को भी कुछ समय पहले प्रदेश सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र में भेज दिया था। ज्यादा दूर नहीं तो पूर्व इनेलो शासनकाल में अनेक ऐसे अफसरों को खुड्डे लाइन लगाया गया जो जनता के हित में काम करने वाले तो माने जाते थे, लेकिन अपने काम में राजनीतिक दखलंदाजी उन्हें पसंद नहीं थी।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव कुमार का प्रकरण तो प्रदेश की राजनीति की सुर्खियों में रहा है। इनेलो शासनकाल में संजीव कुमार को वनवास झेलना पड़ा, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। संजीव कुमार ने उस समय का जेबीटी घोटाला उजागर किया था। इसी तरह फतेहाबाद में एसपी रहे श्रीकांत जाधव को भी इनेलो शासनकाल में एसपी पद से हटाकर खुड्डे लाइन ठोंक दिया गया था, जबकि उस अधिकारी को फतेहाबाद जिले की जनता आज भी याद करती है। कसूर केवल इतना हो गया कि श्री जाधव ने पुलिस भर्ती में सत्ताधारियों की सिफारिश नहीं मानी। इसके अलावा कई अन्य अधिकारी है, जो दबंग तो रहे लेकिन सुर्खियों में नहीं आए। और तो और जिस अशोक खेमका के तबादले को इनेलो नेता गलत बता रहे हैं, उसी खेमका का इनेलो शासनकाल में लगभग 15 बार तबादला किया गया था।

इनेलो से पहले बनी हविपा-भाजपा सरकार ने भी वहीं तरीका अपनाया और सरकारों की जन्मजात बीमारी का उदाहरण पेश किया। भजनलाल शासन में आबकारी एवं कराधान विभाग के कमिश्नर तथा मुख्यमंत्री भजनलाल के प्रिंसीपल सेक्रेटरी रह चुके एलएम मेहता को बंसीलाल सरकार बनते ही खेल विभाग का निदेशक लगा दिया गया। इतने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को खेल विभाग के निदेशक जैसा महत्वहीन पद सौंपे जाने पर उस समय राजनीतिक क्षेत्रों में हैरानी व्यक्त की गई थी लेकिन इसे केवल सत्ताधारी दलों की राजनीतिक रंजिश से जोड़कर देखा जाने लगा। यही नहीं कुछ समय बाद श्री मेहता को प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली भी जाना पड़ा था।

इससे पहले की भजनलाल सरकार में भी कई अफसरों पर गाज गिरी और उसका कारण था कि उन्होंने सत्ता के मुखिया का विरोध किया था। बताया जाता है कि वर्ष 1991 में हुए चुनाव के दौरान आदमपुर हलके के सलेमगढ़ गांव में दोबारा मतदान करवा देने तथा पूरा पुलिस बल वहीं पर झोंक देने के कारण भजनलाल भी हिसार के तत्कालीन डीसी रामनिवास से नाराज हो गए और सत्ता संभालते ही उन्हें हिसार से चंडीगढ़ के लिए रवाना कर दिया।

उस समय केवल मात्र हिसार के एक डीसी का तबादला होना खासा चर्चा में रहा था। इसके अलावा बाद में कई अन्य अफसरों को भी बिना महत्व के पद दे दिए गए। हुड्डा सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों कर तर्ज पर चली है। जैसा कि अशोक खेमका ने स्वयं कहा है कि सभी सरकारें एक जैसी है। एक बात श्री खेमका ने कही है, वह सही है कि 'वे जमीर बेचकर नौकरी नहीं कर सकते। वे जनता के सेवक है लेकिन जन प्रतिनिधियों के नहीं।Ó श्री खेमका की ये लाइने शायद प्रदेश के आईएएस व आईपीएस अधिकारियों का जमीर जगाने में कुछ महत्व वाली साबित हो लेकिन ऐसा लगता नहीं है। आजकल अधिकतर अधिकारी सत्ताधारियों की जी-हजूरी करके अच्छे पदों पर लगने की फिराक में रहते हैं।

सत्ताधारी भी सीधे भर्ती आईएएस व आईपीएस अफसरों को कमान सौंपने की बजाय पदोन्नति से आईएएस व आईपीएस बनने वाले चाटुकार टाइप अफसरों को ही ज्यादा तरजीह देते हैं ताकि ये अफसर अपने आकाओं के समक्ष अपनी दुम हिला-हिला कर अपनी स्वामीभक्ति का परिचय देते रहें। आजकल के अधिकतर अधिकारियों की हालत तो यह हो गई कि सत्तादल का सफेदपोश सामने दिखते ही वे उसे सलाम ठोंकने को उतावले रहते हैं, और उसके इशारे पर चलने में अपनी भलाई समझते हैं।

भले उन सफेदपोशों को मुख्यमंत्री जानते भी न हो। कारण सिर्फ यही है कि न तो आजकल के अफसरों को अपनी पावर का पता है और न ही वे अपने जमीर को जगाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार दबंग व ईमानदार अफसरों को तबादले व निलंबन जैसा ईनाम मिलने की प्रथा नई नहीं है। इस मामले में सभी सरकारें एक जैसी साबित हुई है और आगे भी सुधार की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है।

Comments
English summary
Ashok Khemka was transferred by Bhupinder Singh Hooda government just because he has shown honesty.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X