सुपरसोनिक के बाद अब बनेगी अल्ट्रासोनिक ब्रह्मोस मिसाइल
बेंगलूरु। भारतीय नौसेना ने गोवा के तट पर रविवार को ब्रह्मोस-2 का सफल परीक्षण कर दुनिया को दिखा दिया कि हमारी नौसेना किसी से कम नहीं। लेकिन क्या आपको पता है कि जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के लिये बनी ब्रह्मोस को अब अल्ट्रासोनिक मिसाइल में तब्दील किया जायेगा। यह काम जल्द ही डीआरडीओ की टीम शुरू करेगी।
यह मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल भारत की डीआरडीओ और रूस के एनपीओ ने मिलकर बनायी है। इस मिसाइल का नाम दोनों देशों की नदियों के नाम पर पड़ा। भारत की ब्रह्मापुत्र और रूस की मोस्क्या नदी। जिस मिसइल का परीक्षण आज किया गया है उसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है। इस मिसाइल में 300 किलोग्राम तक युद्धक सामग्री भरी जा सकती है। भारत की शीर्ष 11 मिसाइलें।
एक जगह पर स्थित लक्ष्य को भेदना तो आसान है, लेकिन यदि कोई लक्ष्य इन लगातार गतिशील हो तो उसे निशाना बनाना कठीन हो सकता है। भारत की इस सुपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मिसाइल छोड़े जाने के बाद यदि लक्ष्य अपना मार्ग बदल ले, तो यह मिसाइल भी अपना मार्ग बदल देती है।
ब्रह्मोस 1 के बनाये जाने के बाद पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने डीआरडीओ की टीम से कहा कि अब वे अल्ट्रासोनिक ब्रह्मोस मिसाइल तैयार करे, जो लक्ष्य पर युद्धक सामग्री गिराने के बाद वापस लौट आये और उसका पुन: इस्तेमाल किया जा सके। यदि ऐसी मिसाइल भारत ने इजाद कर ली, तो वो मिसाइलों के मामले में अन्य देशों के मुकाबले कहीं ऊपर होगा।
डीआरडीओ के एक अधिकारी के मुताबिक अल्ट्रासोनिक मिसाइल बनाने की तैयारी जल्द ही शुरू होगी। लेकिन कब तक ऐसी मिसाइल बनकर तैयार हो पायेगी, यह कहना अभी मुश्किल होगा।