माल भाड़े में वृद्धि पर नरेंद्र मोदी ने साधा केंद्र पर निशाना
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने अचानक मालगाड़ी के किराये में 20 प्रतिशत वृद्धि कर दी। यह वृद्धि 6 मार्च से लागू भी हो गई। इस पर सरकार को तीखी प्रतिक्रियाएं मिलना शुरू हो गई हैं। इसी में नरेंद्र मोदी ने सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि पीछे के दरवाजे से की जाने वाली इस प्रकार की वृद्धि स्वीकार्य नहीं है, बल्कि इससे संसद का कोई महत्व नहीं रह जाता है। जब अगले सप्ताह रेल बजट आना ही है, तो अभी इस वृद्धि का क्या औचित्य है।
पिछले दो सप्ताह में मोदी ने प्रधानमंत्री को चार पत्र लिखे हैं। विभिन्न मुद्दों पर लिखे गये पत्रों में मोदी ने केंद्र-राज्य के बीच के संबंधों पर गंभीर रूप से प्रकाश डाला। मोदी ने कहा कि केंद्र अब यह ठान चुका है कि ऐसे बड़े मामलों में किसी भी नीति या निर्णय लेने से पहले वो राज्य से सलह-मश्विरा नहीं करेगा। इससे देश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मोदी ने कहा, "मैं मीडिया रिपोर्ट पढ़ कर चकित रह गया कि केंद्र सरकार ने कपास निर्यात पर रोक लगाने के फैसले में केंद्रीय कृषि मंत्री तक से राय नहीं ली। मुझे यूपीए सरकार की नीयत पर शक होने लगा है। मैंने देखा है कि केंद्र की नीतियां राज्यों के विकास के आगे बाधा बन रही हैं।" मोदी ने कहा कि मालगाड़ी का किराया बढ़ाने से कोयला, खाद और अन्य जरूरती उत्पादों के दाम बढ़ जायेंगे। इससे आम आदमी प्रभावित होगा। गुजरात जैसे राज्य कायले पर काफी हद तक निर्भर हैं।
गुजरात की विद्युत इकाईयों पर19,00 करोड़ रुपए का भार पहले ही पड़ रहा था कि अब 300 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।