मंगल पर जीवन तलाशेंगे भारतीय युवा वैज्ञानिक
भारत के 3 युवा वैज्ञानिकों के अलावा विश्व के अधिकांश देशों से ऐसे वैज्ञानिकों का चयन किया गया हैै। यह बात अपने देश के चंद्रयान-1 के आविष्कारक कुमार स्वामी कस्तूरीरंगन ने विशेष बातचीत में कही। वे सोमवार को हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित साईंस एन्कलेव-2012 में बतौर मुख्य अतिथि आए थे। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करने के बाद बातचीत में उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा ऐसे फिलहाल 200 से अधिक प्लैनेट्स बताए जा रहे हैं, जहां जीवन संभव हो सकता है।
विश्व के वैज्ञानिक इस ओर अपनी खोज शुरू कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने ऐसे ग्रहों पर एलियन्स होने की संभावनाओं को भी नहीं नकारा। उन्होंने कहा कि अभी वैज्ञानिक इस पर भी शोध कर रहे हैं, अभी एलियन्स के न होने की पुष्टि नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि भारत का युवा आज विश्व के किसी भी युवा से कम नहीं है। उसकी योग्यता को विश्व का वैज्ञानिक सलाम करता आया है। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने जिस कॉन्फेंस का आयोजन किया था, उसमें भारत के 30 बच्चों को भेजा गया था।
विश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों के समक्ष भारत के पहले तीन बच्चों ने जो प्रतिभा और बौद्धिकता का परिचय दिया, जिससे प्रभावित होकर उनका चयन कर लिया गया। अब ये बच्चे विश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों के साथ शोध में भागीदार होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं में जो विज्ञान के प्रति उदासीनता है, उसे न्यून करने की जरूरत है। इसके लिए आज देश में वे सभी संसाधन उपलब्ध हैं जो विश्व के अन्य देशों के पास हैं।
इस दौरान उन्होंने एचएयू में आयोजित साईंस एन्कलेव में उपस्थित स्कूली बच्चों को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज भारत की सैटेलाइट में लीडरशिप है। भारतीय वैज्ञानिकों ने बिना की किसी के आईडिया चुराने के खुद की बौद्धिक क्षमता रचनात्मकता का परिचय दिया। कुछ साल पहले तक भारत इस ओर कदम उठाने पर सोचता था मगर पिछले 20 साल में अपनी क्षमता लोहा विश्व के वैज्ञानिकों को दिखा दिया। उन्होंने बताया कि यही रचनात्मकता आज देश के युवाओं में लाने की जरूरत है।
जिन युवा वैज्ञानिकों को आज अमेरिका अपने में शामिल करना चाहता है, वे वैज्ञानिक भारत में रह सकें तो अगले 10 साल में हम सुपर पावर बन सकते हैं। इस दौरान कार्यक्रम के विशिष्ष्ट अतिथि प्रदेश के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने संबोधन में कहा कि स्कूली बच्चों को देश का उज्ज्वल भविष्य कहा जाता है और इस बात को यथार्थ रूप देने की आज के समय में जरूरत भी है।
आज स्कूली बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर और शिक्षक तो बनना चाहते हैं, मगर वे विज्ञान की तरफ नहीं जा रहे। इसका एक मुख्य कारण स्कूली स्तर पर विज्ञान के प्रति बच्चों को प्रोत्साहित करना है। इसके लिए प्रदेश में और देश में विज्ञान गोष्ठियां स्कूली स्तर पर होने की जरूरत भी है। उन्होंने कहा कि आज गरीबी और अमीरी का अंतर हर पल लगातार बढ़ रहा है और विज्ञान ही इस बढ़े अंतर को कम करके समानता और बराबरी ला सकता है। उन्होंने कहा कि आज 21वीं सदी में ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा उत्पात, वेस्ट मैनेजमेंट, संसाधन प्रबंधन, मेडिसिनल उत्पात, नैनो व बॉयो टैक्नोलॉजी सहित अन्य क्षेत्र वैज्ञानिकों के लिए चुनौती भरे क्षेत्र हैं, जिन्हें इस सदी में पार करना है। इस दौरान कृषि मंत्री परमवीर सिंह, कुलपति केएस खोखर व अन्य वैज्ञानिकों ने भी संबोधित किया।