यूपी चुनावी संग्राम में उतरी तीन देवियां
आखिरकार लंबे इंतजार और बहुत सारे कयासों के बाद भाजपा हाईकमान ने फैसला कर लिया कि वो पिछड़ो की नेता उमा भारती को चुनावी समर में उतारेंगे। भाजपा ने उमा भारती को यूपी के महोबा के चरखारी सीट से चुनाव लड़वाने का फैसला किया है। एक तो महिला और ऊपर से पिछड़ा वर्ग, मतलब साफ है कि कुशवाहा प्रकरण पर किरकिरी कराने के बाद भाजपा पार्टी हर हालत में अब पिछड़ों का वोट हासिल करने में जुट गयी है। सिर्फ यही नहीं उमा भारती को टिकट देकर भाजपा, कांग्रेस और बसपा की लिस्ट में भी शामिल हो गयी है।
मतलब यह है कि यह तीनों ही पार्टियों ने सीएम पद पर महिला को आसीन करने का सपना दिखा कर वोटरों को लुभाने की कोशिश की है। प्रदेश की वर्तमान सीएम तो मायवती हैं ही और उनके कद के बारे में हर कोई जानता है। बसपा की ऑल इन ऑल बनीं मायावती के आगे किसी भी बसपा नेता का कद नहीं कि वो माया को टक्कर दे सके।
तो वहीं कांग्रेस ने तो पहले ही प्रदेश की कमान रीता बहुगुणा जोशी के हाथ में दे रखी है। अब इस फेहरिस्त में भाजपा भी शामिल हो गयी हैं। चुनावी युद्ध में केवल सपा ही एक अकेली पार्टी है जिसके पास कोई महिला चेहरा नही हैं। शायद लोकसभा के उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को अगर मतदाताओं का प्रेम मिला होता तो शायद साईकिल की सीट पर डिंपल बैठीं होती लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं इसलिए सपा ने किसी भी महिला को आगे नहीं किया है। उसकी साइकिल पिता मुलायम और बेटे अखिलेश के ही दम पर आगे बढ़ रही है।
कुल मिलाकर भाजपा, कांग्रेस और बसपा के तीनों महिला चरित्र जरूरत से ज्यादा आक्रामक, तेज तर्रार और जुबानी लड़ाई में पारंगत है। इन तीनों चरित्रों की खास बात यह है कि तीनों ही महिलाएं किसी पर भी वार करने से चुकती नहीं है। देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी समर में इन तीनों देवियां क्या कमाल करती है?
हाथी की सवारी करने वाली माया को उनकी सीट वापस मिलती है या फिर 22 साल से कांग्रेस की प्रदेश में फिर से जिंदा होने की बाट जोहने वाली रीता बहुगुणा जोशी अपने पंजे के सहारे सीएम की कुर्सी तक पहुंच पाती है या उमा भारती के रूप में ट्रंप कार्ड खेलने वाली भाजपा के सिर एक बार फिर से प्रदेश का ताज सजता है, यह तो 6 मार्च को ही पता चल पायेगा जब चुनावी नतीजे लोगों के सामने आयेंगे।