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जजों को रखा जाएगा लोकपाल के दायरे से बाहर

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नयी दिल्ली। लोकपाल विधेयक का अध्ययन कर रहे संसदीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट को आज अंतिम रूप देना शुरू किया। सदस्यों में से ज्यादातर की राय केंद्र और राज्यों में भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल की स्थापना के लिए एक कानून लागू करने के पक्ष में है। सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर आ रही है कि न्‍यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की पूरी तैयारी शुरू हो गयी है।

ऐसी खबर आ रही है कि संसद की स्थायी समिति ने प्रस्तावित लोकपाल कानून के दायरे से न्‍यायपालिका को बाहर रखने की सिफारिश करने का फैसला किया है। लेकिन रिपोर्ट में स्थायी समिति के सदस्यों की ओर से न्‍यायपालिका में भ्रष्‍टाचार को लेकर जताई गई चिंता शामिल हो सकती है। सूत्रों के अनुसार ग्रुप ए में आने वाले 80 हजार ही नहीं बल्‍कि ग्रुप बी के 1.5 लाख अधिकारियों को भी लोकपाल के दायरे में लाने की सिफारिश करने का मन बनाया है

अन्‍ना हजारे के मुताबित स्‍थायी समिती यह सिफारिश करने को तैयार है कि केंद्र द्वारा बनने वाले लोकपाल कानून को राज्‍यों के लोकायुक्‍तो पर भी लागू किया जाए। झूठी शिकायतों पर सजा को थोड़ा हल्‍का करने की सिफारिश की जा रही है। प्रस्‍तावित कानून में 2 साल से लेकर 5 साल तक की कैद और जुर्माने की मांग कर रही है।

इसके अलावा स्थायी समिति झूठी शिकायतों के लिए सजा को थोड़ा हल्का करने की सिफारिश कर सकती है। प्रस्तावित कानून 2 साल से लेकर 5 साल तक की कैद और आर्थिक जुर्माने की वकालत करता है। वहीं, संसद की स्थायी समिति इसे 6 महीने की कैद और 5 हजार के जुर्माने में तब्दील करने को कहेगी। टीम अन्ना ने झूठी शिकायत की सजा पर तर्क दिया था कि यह सजा करप्‍ट अफसरों की सजा से ज्‍यादा होना ठीक नहीं है।

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English summary
As the Parliamentary standing committee examining the Lokpal Bill began finalising its report to be submitted in the Parliament.
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