मनीष तिवारी जी, अन्ना से माफी मांगने से कांग्रेस पर लगे दाग धुल गये क्या?
14 अगस्त को कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मीडिया के सामने जमकर अन्ना को कोसा था। उस दौरान माना जा रहा था कि यह कांग्रेस की एक चाल है, लेकिन सूत्रों से पता चला है कि इसमें कांग्रेस की कोई चाल नहीं थी। यह करनी सिर्फ मनीष की उपज थी, जिसके लिए उन्हें पार्टी की जमकर फटकार मिली।
मनीष तिवारी ने 14 अगस्त को कहा था, "मैं अन्ना हजारे से पूछा चाहता हूं कि अन्ना तुम किस मुंह से भ्रष्टाचार से लड़ रहे हो। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त हो।" मनीष तिवारी ने अपने से 28 वर्ष बड़े अन्ना को तुम कहकर संबोधित करते हुए मनीष ने कहा कि जस्टिस सावंत आयोग ने उनको और उनके संगठन को उनके कार्यकर्ताओं को क्रिमिनल कहा। इन सारी बातों का जवाब उनको देना चाहिये।"
इसके बाद 11 दिन तक सुर्खियों से मनीष गायब हो गये। वहीं अगर जनता ने मनीष समेत कांग्रेस को जमकर कोसा। जरा सोचिए जिस देश में 1.2 अरब की आबादी अन्ना के समर्थन में हो और वहीं कोई उन्हें तुम कहकर संबोधित करे और आधारहीन आरोप लगाये तो क्या होगा? आप सही सोच रहे हैं। लोगों ने मनीष तिवारी के इस कथन पर उनके अलावा कांग्रेस को भी जमकर कोसा। यही नहीं लालू प्रसाद यादव, लाल कृषण आडवाणी, सुषमा स्वराज और तमाम नेताओं ने मीडिया के सामने यही कहा कि जिस कांग्रेस के नेता ऐसी भाषा का प्रयोग करते हों, वो नेहरू की कांग्रेस नहीं हो सकती।
यही नहीं मनीष तिवारी के इस आचरण से जनता के मन में कांग्रेस के प्रति जो खुन्नस भर गई है, वो अगले चुनाव तक कम होना मुश्किल है। लोकसभा चुनाव तो दूर की बात है, इसका सीधा असर अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश, गुजरात, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड के चुनावों में दिख सकता है।