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बसपा और कांग्रेस के लिये चुनावी मोहरा बनी एथलीट अरुणिमा

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Sonu Sinha
लखनऊ। अरुणिमा सिन्हा उर्फ सोनू कुछ दिन पहले तक उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी थीं। अब वह एक पैर वाली विकलांग लड़की है। इसमें न उसका कोई दोष है और न ही यह दुर्घटना है। अगर दुर्घटना में उसका पैर क्षतिग्रस्त हो जाता और डॉक्टरों को उसे काटना पड़ता तो इसे एक त्रासदी कहा जाता और हम आप दुख व्यक्त करते हुए उसके प्रति सहानुभूति के कुछ शब्द निकालते। लेकिन उनके अनुसार पद्मावत एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली आने वाली ट्रेन में बदमाशों ने छेड़छाड़ की, उसकी चेन छीनने की कोशिश की और विरोध करने पर उसे बाहर गिरा दिया। उसका दुर्भाग्य देखिए कि जिस रेलवे ट्रैक पर वह गिरी, उस पर आ रही दूसरी गाड़ी उसके एक पैर के ऊपर से गुजरती चली गई।

अरुणिमा की इस त्रासदपूर्ण दशा के लिए शब्द ढूंढ़ना मुश्किल है, मगर सत्‍ता की बागड़ोर संभाले कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इस हादसे में चुनावी मुद्दा ढूढं निकाला है और उस बलबूते आने वाले चुनाव में अपना नम्‍बर बढ़ाने के लिये हर संभव प्रयास कर रहे हैं। सरकार को शह और मात के खेले के लिये अरुणिमा की लाचारी बिसात में मिल गई है। राज्‍य सरकार और केंद्र सरकार एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये एक के बाद एक चालें चल रही है। सोमवार को जो अचानक राजनैतिक गलियारे से अरुणिमा के लिये जो रुझान निकला उसने सारी तस्‍वीर साफ कर दी। उत्‍तर पद्रेश सरकार अब अरुणिमा सिन्‍हा के मामले को लेकर केंद्र के सामने खड़ी हो गई है।

दोनों सरकारों ने एक दूसरे पर शब्‍दों का प्रहार शुरु कर दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि अपने ही राज्‍य के अर्न्‍तराष्‍ट्रीय स्‍तर की खिलाड़ी के साथ इतने दर्दनाक हादसे के बाद भी प्रदेश का खामोश रवैया बेहद चिंताजनक है। उत्‍तर प्रदेश की सरकार ने हादसे के दो दिन बाद सिर्फ एक लाख रुपये मदद के रूप में देने की घोषणा की थी जबकि केंद्र सरकार ने दो लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने की घोषणा घटना वाले दिन ही कर चुकी थी। सोमवार को केंद्रिय खेल मंत्री अजय माकन ने लखनऊ आकर सोनू की हालचाल जानने का फैसला लिया।

बस यही से शुरु हो गई शह और मात की कहानी। कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि घटना को एक हफ्ता हो गया है और प्रदेश सरकार के एक छोटे से नुमाइंदे को अरुणिमा को अस्पताल जाकर देखने की फुर्सत नहीं है। उधर केंद्रीय मंत्री अपने सारे पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को निरस्त कर लखनऊ पहुंच रहे हैं। बस फिर क्या था। राज्‍य सरकार भी रजनैतिक दांव पेंच समझकर फौरन सक्रिय हो गई। माकन के आने से पहले मुख्‍यमंत्री मायावती ने अपने खेल मंत्री अयोध्‍या प्रसाद पाल को सरकारी नौकरी के ऑफर के साथ सोनू को देखने अस्‍पताल भेज दिया। अयोध्‍या प्रसाद पाल अस्‍पताल पहुंचे और नम्‍बर बढ़ाने के लिसे मीडिया के सामने खेल विभाग में अरुणिमा को नौकरी देने का ऐलान कर दिया।

इसके बाद माकन पहुंचे उन्‍होंनें अरुणिमा का हालचाल लिया और चले गये। माकन के आने के बाद प्रदेश सरकार को कांग्रेस खेमे से यह इशारा मिल गया कि बेहतर इलाज के लिए सोनू को दिल्ली ले जाया जाएगा। बस क्‍या था प्रदेश मुखिया ने नहले पर दहला मारा और अरुणिमा को इलाज के लिए दिल्ली भेजने का निर्णय कर दिया और वह भी राजकीय विमान से।

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English summary
Uttar Pradesh chief minister Mayawati move was influenced not by medical factors but was the culmination of a day-long, high-voltage political tug-of-war between the state government and the Centre over Arunima's treatment.
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