फिनलैंड की नजर भारत के स्वच्छ प्रौद्योगिकी बाजार पर
राजधानी दिल्ली में गुरुवार को शुरू हुए तीन दिवसीय 'दिल्ली टिकाऊ विकास शिखर सम्मेलन' (डीएसडीएस) में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शिरकत कर रहीं लेहतोमकी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हमारे सामने जो चुनौतियों हैं उसे हम सही प्रौद्योगिकी और जानकारी के बल पर बेहतर अवसर के रूप में बदल सकते हैं।
फिनलैंड की कम्पनियों की संस्था 'क्लिनटेक फिनलैंड' और वहां की कम्पनियों की वैश्विक बाजार में पहुंच सुगम कराने वाली संस्था 'फिनप्रो' की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में लेहतोमकी ने यह भी कहा कि स्वच्छ प्रौद्योगिकी ने भारत और फिनलैंड के बीच सम्बंधों को काफी मजबूत बनाया है और यहां स्वच्छ प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपार सम्भावना को देखते हुए फिनलैंड की कम्पनियों की भागीदारी काफी बढ़ी है।
उन्होंने सहयोग और जानकारी के अदान प्रदान को बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा कि हाल के दिनों में फिनलैंड की कम्पनियों ने भारत की कम्पनियों के साथ मिलकर स्वच्छा ऊर्जा और जल के क्षेत्र में काफी काम किया है। उन्होंने कहा कि फिनलैंड की स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में विशेषज्ञता का भारत के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास में काफी लाभ मिल सकता है।
इस मौके पर फिनलैंड की कुछ अग्रणी स्वच्छ प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने वाली कम्पनियों ने डीएसडीएस में अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया। दुनिया में जल रासायन क्षेत्र की अग्रणी कम्पनी केमिरा ओयज और देश की अग्रणी जल आधारभूत संरचना कम्पनी आईवीआरसीएल ने एक संयुक्त उपक्रम लगाने का फैसला किया है। केमिरा का अनुमान है कि भारत में पानी का बाजार करीब 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है।
इसी तरह पवन ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकी उपकरणों की आपूर्ति करने वाली फिनलैंड की प्रमुख कम्पनी 'द स्विच' का कहना है कि भारत में पवन ऊर्जा क्षेत्र में भारी सम्भावनएं हैं और उसी को देखते हुए कम्पनी ने वर्ष 2010 में भारतीय बाजार में कदम रखा। कम्पनी का कहना है कि 2022 तक भारत का 38500 मेगावाट पवन बिजली और 20 हजार मेगावाट सौर्य ऊर्जा पैदा करने का लक्ष्य है।
गौरतलब है कि भारत और फिनलैंड के बीच करीब एक अरब डॉलर का व्यापार होता है और भारत एशियन में फिनलैंड के लिए चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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