क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

..जहां मिट गई है मंदिर-मस्जिद के बीच की दीवार

By Staff
Google Oneindia News

मुजफ्फरनगर, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। मंदिर-मस्जिद, धर्म और जाति के झगड़े में उलझे लोगों को मुजफ्फरनगर के कांधला कस्बे से सीख लेनी चाहिए। यहां मंदिर-मस्जिद के बीच की दीवारें मिट गई हैं। मस्जिद की नींव पर ही मंदिर की बुलंद दीवार खड़ी है। बीते 150 वर्षो से ये धर्मस्थल साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल बने हुए हैं।

मुजफ्फरनगर के कांधला कस्बे में स्थित जामा मस्जिद में एक तरफ अजान होती है, तो दूसरी ओर लक्ष्मी नारायण मंदिर में घंटे बजते हैं। इन दोनों इमारतों का इतिहास बताता है कि 1391 में फिरोजशाह तुगलक शिकार खेलते हुए इस कस्बे में पहुंचा था। देर हो जाने के कारण उसने वहीं एक उच्च स्थान पर जुमे की नमाज अदा की और बाद में यहीं जामा मस्जिद खड़ी हुई।

कांधला निवासी नुरुल हसन के अनुसार 1840 में इस मस्जिद की मरम्मत हुई। बाद में इसके बराबर में खाली पड़ी जगह पर जब मस्जिद को विस्तार देने का निर्णय लिया गया तो वहां हिन्दुओं ने इसे मंदिर की जगह बताकर काम रुकवा दिया। यह मामला अंग्रेजी शासन काल में अंग्रेजों की अदालत में भी चला और उस समय मुस्लिम समाज के मौलाना महमूद बख्श कांधलवी ने साम्प्रदायिक एकता की मिसाल वाली गवाही दी। उन्होंने अपनी गवाही में कहा था कि मस्जिद के बराबर में खाली जगह मंदिर की ही है, वहां पर मंदिर ही बनाया जाए।

बाद में न्यायालय के आदेश पर यहां मंदिर निर्माण की इजाजत मिली और यहां लक्ष्मी नारायण मंदिर बनाया गया। तब से आज 160 साल हो बीत चुके हैं, और ये दोनों धार्मिक स्थल सांप्रदायिक सौहाद्र्र की नींव और दीवार बने खड़े हैं।

कस्बा निवासी अमित कुमार और इरशाद का कहना है कि दोनों धर्मो के बीच यहां प्यार आज भी अनोखा है। मंदिर के पुजारी अजान के समय स्पीकर बंद कर देते हैं। दोनों सम्प्रदाय के लोग बड़ी सहजता और भाईचारे के साथ एक-दूसरे के साथ रहते हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

**

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X