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गंगा अभियान : अग्रवाल ने 35 दिनों बाद तोड़ा अनशन (लीड-1)

By Staff
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केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश और राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने हाथों से फल का जूस पिलाकर अग्रवाल का अनशन तुड़वाया। इस अवसर पर अग्रवाल के साथ कई जाने माने संतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा हजारों लोग उपस्थित थे।

अनशन तोड़ने से पूर्व अग्रवाल ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया और सबकी उपस्थिति के बीच सामूहिक रूप से गंगा की सायं आरती हुई। कार्यक्रम में बड़े नामों में से योग गुरु स्वामी रामदेव, स्वामी देवाचार्य, सतपाल ब्रहमचारी, स्वामी हठयोगी जी सहित भाजपा के पूर्व महामंत्री गोविन्दाचार्य और विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री राजेन्द्र पंकज उपस्थित थे।

प्रो़ अग्रवाल द्वारा मंगलवार शाम चार बजे केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश और राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की उपस्थिति में अनशन तोड़ने की सोमवार को की गई घोषणा से उत्साहित हजारों की संख्या में साधु संत और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे किन्तु जयराम रमेश द्वारा विलम्ब से आने के कारण अनशन समाप्त करने का कार्यक्रम शाम 7.45 तक खिंचा।

प्रो. अग्रवाल ने कहा की गंगा आस्था की प्रतीक है और आस्था से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। आस्था के लिए हमेशा बलिदान को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने खुशी जताई कि सरकार ने उनकी मांगें मान ली है। उन्होंने कहा कि जब तक गंगा बेसिन प्राधिकरण की बैठक में हमारी मांगों को औपचारिक मंजूरी नहीं मिल जाती तब तक वे अन्न जल नहीं ग्रहण करेंगे और फलाहार पर रहेंगे।

इससे पूर्व अग्रवाल द्वारा रखी गई शर्तो के अनुसार केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश लोहारी नागपाला जल विद्युत परियोजना को बंद करने के सरकार के निर्णय का लिखित दस्तावेज साथ लेकर कार्यक्रम स्थल पर सायं 6.30 बजे पहुंचे। रमेश ने प्रो. अग्रवाल को केन्द्र सरकार के आदेशों के लिखित आदेश दिखाए। वहीं केन्द्रीय मंत्री के आने से महज आधा घंटा पूर्व ही प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यक्रम स्थल पहुंचे जबकि संत और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कार्यक्रम स्थल पर आने का सिलसिला दोपहर से ही शुरू हो गया था।

इससे पूर्व प्रो़ अग्रवाल के सहयोगी स्वामी निगमानंद सरस्वती ने सोमवार को इस आशय की जानकारी देते हुए बताया था कि केन्द्र सरकार द्वारा मांगे मान लेने के बाद प्रो़ अग्रवाल मंगलवार शाम को अनशन तोड़ देंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रो़ अग्रवाल लोहारीनाग पाला परियोजना के विरोध को लेकर पिछले 35 दिनों से हरिद्वार के मातृ सदन में आमरण अनशन पर बैठे थे। उनका कहना था कि केन्द्र सरकार पहले यह घोषित करे कि इस परियोजना को सिर्फ आस्था के नाम पर निरस्त की गई है।

इससे पूर्व चार दिन पहले ही केंद्र सरकार ने पर्यावरण के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एनटीपीसी की 600 मेगावाट की लोहारीनाग पाला जल विद्युत परियोजना को बंद करने का निर्णय लिया था। केन्द्र ने तय किया है कि भागीरथी नदी पर बड़ी विद्युत योजनाओं को हरी झंडी नहीं दी जाएगी। ताकि गंगा की अविरलता बरकरार रह सके। सरकार के इस निर्णय के बाद ही केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री रविवार को प्रो़ अग्रवाल से मिलने गए थे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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