पीडीएस घोटाले में अपांग गिरफ्तार, पुलिस हिरासत में (लीड-1)
पश्चिम बंगाल के दिवंगत मुख्यमंत्री ज्योति बसु के बाद सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वालों में अपांग दूसरे हैं। उन्हें मंगलवार दोपहर राजधानी ईटानगर में एसआईसी दफ्तर के बाहर गिरफ्तार किया गया। उसके बाद उन्हें लखीमपुर सत्र अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
अदालत परिसर के बाहर अपांग ने संवाददाताओं से कहा, "मैं बिल्कुल निर्दोष हूं और पीडीएस घोटाले में मेरी कोई संलिप्तता नहीं है। यह मेरी छवि को धूमिल करने के लिए एक राजनीतिक षडयंत्र है और इसीलिए मैं मांग करता हूं कि इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से हो।"
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा पीडीएस के 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए एसआईसी का गठन किया गया है।
एसआईसी के जांच अधिकारी एम.एस. चौहान ने कहा, "अन्य आरोपियों के बयान और तथ्यों के आधार पर अपांग को गिरफ्तार किया गया है।"
इम मामले की जांच अरुणाचल सिटिजन राइट्स (एसीआर) के अध्यक्ष बमांग एंथोनी और एक नेता डोमिन लोया द्वारा दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर शुरू की गई। यह याचिका 13 जून 2004 को दाखिल की गई थी।
राज्य में जब पीडीएस घोटाला हुआ उस समय अपांग ही राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस मामले में बिना अनुमति के फर्जी बिलों के जरिये इस घोटाले को अंजाम दिया गया। फर्जी बिलों में परिवहन और सामानों की खरीद शामिल हैं।
इस घोटाले में अरुणाचल प्रदेश पुलिस सतर्कता विभाग की जांच में आरोपी के रूप में अपांग, कई नौकरशाह, व्यवसायी सहित 40 लोगों के नाम सामने आए थे।
अरुणाचल प्रदेश की राजनीति में अपांग पिछले 25 साल से सक्रिय हैं जिसमें 22 साल तक वह मुख्यमंत्री रहे। हालांकि पिछले साल 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में वह पराजित हो गए थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।