22 साल बाद जीती कानूनी जंग, पर नहीं मिला भूखंड
सुगंधा पाठक
नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)। राजधानी में एक भूखण्ड हासिल करने के लिए 22 वर्षो तक काननू लड़ाई लड़ने के बाद कोयला डिपो की मालकिन दर्शना रानी के पक्ष में गत जनवरी को अदालत का फैसला आया। अदालत ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को भूखण्ड लौटाने का निर्देश दिया था लेकिन छह महीने बाद भी 75 वर्षीया रानी को भूखण्ड नहीं मिल पाया है।
रानी के बेटे विनोद कुमार बत्रा ने बताया, "हमारे पक्ष में फैसला आए छह महीने हो चुके हैं लेकिन भूखण्ड अभी तक नहीं मिल पाया है। मुझे विश्वास है कि वे (एमसीडी) उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। मैं नहीं जानता कि यह मामला और कितने वर्षो तक चलेगा।"
रानी इस भूखण्ड को हासिल करने के लिए बरसों से संघर्ष कर रही हैं। यह भूखण्ड एमसीडी ने उसे वैध रूप से आवंटित किया था लेकिन बाद रद्द कर दिया गया।
वर्ष 1998 से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहे रानी के अधिवक्ता एम. एम. अग्रवाल ने बताया, "यद्यपि इस मामले में फैसला हमारे मुवक्किल के पक्ष में आया है लेकिन वह अभी तक अपने भूखण्ड को पाने का इंतजार कर रही हैं।"
गौरतलब है कि शहर की एक अदालत ने एमसीडी के स्लम एवं जे.जे कॉलोनी विभाग द्वारा भूखण्ड का आवंटन रद्द किए जाने पर उसे फटकार लगाई और उसकी कार्रवाई को 'अनुचित, अवैध और अन्यायपूर्ण' ठहराया था।
जनवरी में फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने कहा, "जिस तरीके से एमसीडी ने भूखण्ड के आवंटन को रद्द किया है वह अनुचित, अवैध और अन्यायपूर्ण है। एमसीडी ने इसमें सही प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया था।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।