भारत में विकास दर 8 फीसदी रहेगी : विश्व बैंक
रिपोर्ट में कहा गया है, "इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी के पहले के स्तर के करीब पहुंच चुकी है और अब यह क्षेत्र दशक की शुरूआत में रही उच्च विकास दर के स्तर की ओर बढ़ रहा है।"
विश्व बैंक ने कहा कि "विकास दर में यह सुधार घरेलू विश्वास में बढ़ोतरी और घरेलू व विदेशी मांग, खपत एवं निवेश और निजी मांग एवं प्रोत्साहनों के बीच बेहतर संतुलन बने रहने के कारण हुआ है।"
रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया के छोटे देशों के विकास में भारत की आर्थिक बढ़ोतरी का अहम योगदान रहा है हालांकि भारत के लिए यह विकास अभी कम है लेकिन छोटे देशों को हो रहा फायदा काफी ज्यादा है।
दक्षिण एशिया के क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान, मालदीव, नेपाल और अफगानिस्तान शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र का 80 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद भारत से पैदा होता है जो कि इस क्षेत्र में सबसे तेजी से विकास करने वाली और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पाकिस्तान और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्थाओं का हिस्सा क्रमश: 10 और 7 फीसदी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कीमतों में कमी जल्द कमी आने की संभावना के बावजूद बड़ी ग्रामीण जनसंख्या और गरीबी को देखते हुए कृषि क्षेत्र में बड़े पैमानों पर सुधार काफी महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट में स्पष्ट किए गए अन्य महत्वपूर्ण बिंदु निम्नानुसार हैं-
-वर्ष 2009 में पूर्वी एशिया की तुलना में यहां ज्यादा तेज वृद्धि हुई है।
-इस बढ़ोतरी में सरकारी नीतियों, बाहरी मदद, निजी उपभोग और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
-समय पर किए गए जरूरी नीतिगत उपाय से विश्वास में बढ़ोतरी और आर्थिक बढ़ोतरी संभव हुई।
-दक्षिण एशिया की मजबूती और बाहरी विश्व से कम जुड़ाव भी मंदी से कम प्रभावित होने का कारण रहा।
- इस क्षेत्र ने विश्व अर्थव्यवस्था के संकटों को उम्मीद से बेहतर तरीके से झेला।
- सरकारों ने आर्थिक प्रबंधन, राजकोषीय नियंत्रण और महंगाई पर लगाम रखी एवं कृषि को बढ़ावा दिया।
- इस क्षेत्र में स्थिर और समेकित विकास आर्थिक वृद्धि का नया जरिया बना।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धी निर्माण के चलते भी आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई
-क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी जुड़ाव में बढ़ोतरी होनी चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।