राजपक्षे से राजनीतिक सुलह पर चर्चा करेगा भारत
नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। श्रीलंका के उत्तर पूर्व इलाके के पुनर्निमाण में अग्रणी भूमिका निभा रहा भारत श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे से श्रीलंका में राजनीतिक सुलह की प्रक्रिया पर चर्चा करेगा। राजपक्षे तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर मंगलवार को भारत आ रहे हैं।
श्रीलंका के तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यकों को स्वशासन का अधिकार दिए जाने के बारे में राजपक्षे की क्या योजना है, यह उनकी इस यात्रा के दौरान बातचीत का मुख्य आधिकारिक एजेंडा होगा। नवम्बर 2005 में राष्ट्रपति बनने के बाद से राजपक्षे अल्पसंख्यकों को शक्ति देने का वादा करते रहे हैं।
राजपक्षे और उनके सहयोगियों का तर्क है कि ऐसा करने से पहले उनके लिए राजनीतिक रूप से सुरक्षित होना जरूरी है। यह बहुसंख्यक सिंहलीज को स्वीकार होना चाहिए और तमिल तथा तमिल भाषी मुसलमानों के हित में होना चाहिए।
पिछले साल मई में हुए राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों में राजपक्षे को भारी सफलता मिली और इसके बाद वह देश के सबसे ताकतवर राष्ट्रपतियों की सूची में शुमार हो गए। राजनीतिक प्रेक्षकों और नीति निर्धारकों का मानना है कि अब राजपक्षे को कुछ कर गुजरना चाहिए।
राजपक्षे को बुधवार को राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। वह राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से मुलाकात करेंगे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे।
भारत श्रीलंका के युद्ध प्रभावित उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में पुनर्निर्माण में सक्रिय है। श्रीलंका में भारतीय पर्यटकों की लगातार बढ़ती तादाद और दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को देखते हुए भारत समझता है कि उत्तर व पूर्व के प्रांतों में विश्वास बहाली की दिशा में कोलंबों के प्रयासों में वह अहम योगदान कर सकता है।
भारत ने युद्ध प्रभावित कई लोगों को जयपुर फुट उपलब्ध करवाएं हैं जिन्होंने युद्ध के दौरान अपने पांव गंवा दिए थे। भारत इन क्षेत्रों को रेल मार्ग से भी जोड़ना चाहता है और जाफना को बड़े सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।