त्रासदीपूर्ण है भोपाल गैस कांड का फैसला : पीड़ित
1984 की इस त्रासदी के सिलसिले में अदालत ने आरोपी यूनियन कार्बाइड के आठ अधिकारियों को महज आपराधिक लापरवाही का दोषी करार दिया है। इसके तहत महज दो साल की कैद हो सकती है।
वर्ष 1984 से ही पीड़ितों के साथ मिलकर संघर्ष कर रहे 'भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एंड एक्शन' नाम के एक स्वयंसेवी संगठन के सतिनाथ सारंगी का कहना है, "आज का फैसला तबाही है..उन्होंने इसे यातायात दुर्घटना जैसा बना दिया।"
उन्होंने कहा, "आरोप हल्के बना दिए गए हैं। पीड़ितों को इससे निराशा हुई है।"
न्यायालय ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के आठ पूर्व अधिकारियों को आपराधिक लापरवाही का दोषी ठहराया है। सारंगी का कहना है, "हम चाहते हैं कि दोषित को उचित दंड मिले।"
सारंगी ने भारत सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसमें वॉरेन एंडरसन को घेरने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। एंडरसन अमेरिका में यूनियन कार्बाइड कंपनी के प्रमुख थे।
उन्होंने कहा, "एंडरसन सब कुछ जानते थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने गैस लीक होने दी। उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।"
'भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ' की रशीदा बी ने आईएएनएस को बताया, "यह इस त्रादसी में मारे गए 25000 लोगों के साथ पूरी तरह ज्यादती है। यह फैसला शर्मनाक है। हमें घोर निराशा हुई है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि यूनियन कार्बाइड की वजह से मुसीबतें झेलने वाले परिवारों के सदस्यों को अदालत से दूर रखकर उनके बुनियादी अधिकारों का हनन किया गया।
रशीदा ने कहा, "हम यकीनन शीर्ष अदालतों में गुहार लगाएंगे। अगर प्रधानमंत्री को भी हमारे कल्याण की जरा भी चिंता है तो उन्हें कदम उठाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "वॉरेन एंडरसन को भारत लाना चाहिए और उन्हें कम से कम 20 साल तक जेल में डाला जाना चाहिए।"
पच्चीस साल पहले दो और तीन दिसम्बर, 1984 की रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइट गैस के कारण हजारों लोग मारे गए थे और अनेक स्थायी रूप से विकलांग हो गए थे। इसे दुनिया की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी माना जाता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।