बड़े बेआबरू होकर भाजपा, सोरेन के घर से निकली
झारखंड राजनीति को बेतुका नाटक कहने वाली भाजपा खुद भटकाव की स्थिति में हैं। पार्टी के शीर्ष नेता का ध्यान राज्य के विकास की ओर न होकर सीएम की कुर्सी पर है। कभी यशवंत सिन्हा तो कभी अर्जुन मुंडा का नाम प्रस्तावित किया गया, लेकिन भाजपा के इस बेतुके नाटक पर शिबू सोरेन की बचाकानी हरकतें और जिद भारी पड़ी है। हमेशा देश का भला सोचनो का दावा करने वाली भाजपा खुद सत्ता की लालच में भटकी हुई प्रतित हुई।
कहते हैं राजनीति में कोई किसी का साथी नहीं होता, कब यहां कोई किसी का सगा हो जाए और कब दुश्मन कहा नहीं जा सकता। कल तक शिबू सोरेन को कोसने वाली यूपीए सरकार आज शिबू का गुणगान कर रही है। कयास लगाया जा रहा है कि कांग्रेस शिबू का साथ दे सकती है। हालाकि कांग्रेस की ओर से अभी कोई भी अधिकारिक बयान नहीं आया है।
जानिए सिनेमा हलचल
सोमवार को समर्थन वापसी के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता गण चाहे वो अरूण जेटली हों या फिर यशवंत सिन्हा मीडिया को सफाई देते नजर आ रहे हैं कि शिबू सरकार से समर्थन वापस पार्टी के सभी सदस्यों से विचार विमर्श के बाद लिया गया है। लेकिन आखिर वो ये बताये उनसे इस बाबत सवाल पूछ कौन रहा है। सभी को पता है कि भाजपा के पास समर्थन वापसी के अलावा कोई चारा नहीं था। और न ही इस समय उसके पास कोई विकल्प है। खैर पार्टी कुछ भी कहे लेकिन झारखंड में जो कुछ भी हुआ है उसने भाजपा के नेतृत्व पर सवालिया निशान जरूर लगा दिया है। अगर भाजपा इससे सबक नहीं लेती है तो आने वाले दिन पार्टी को झारखंड में काफी भारी पड़ सकते हैं।