आतंकवाद के कारण वेश्यावृत्ति को मजबूर असमी महिलाएं
गुवाहाटी, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। असम में दशकों से जारी हिंसा और आतंकवाद ने तमाम महिलाओं को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर दिया है। खासतौर से उन महिलाओं को जिनके पति या परिवार के करीबी सदस्य आतंकी हमलों की भेंट चढ़ गए हैं। एक सेक्स रैकेट के भंडाफोड़ के बाद यह सच्चाई सामने आई है।
शहर पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान पिंकी (25) नामक तलाकशुदा महिला ने पुलिस को बताया है कि उसे मजबूरन वेश्यावृत्ति में उतरना पड़ा।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "उसने यह सब मजबूरी में किया और उसकी कहानी वाकई त्रासदपूर्ण है। वह आतंकी हमले की पीड़ित है और उसे मजबूरन वेश्यावृत्ति के पेशे में उतरना पड़ा।"
पिंकी के पूर्व पति, अतेन तिमंग (31) एक दिहाड़ी मजदूर थे। दोनों के बीच एक तीन साल का बेटा भी था। वह 30 अक्टूबर, 2008 को असम में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोट में बुरी तरह घायल हो गए थे।
इस विस्फोट ने न केवल तिमंग की जिंदगी को बद से बदतर बना दिया, बल्कि उसका परिवार भी बिखर गया। तलाक के बाद उसकी जवान पत्नी को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर होना पड़ा।
पुलिस ने इसी सप्ताह एक सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया और एक किराए के मकान से दो महिलाओं को हिरासत में लिया। उनमें से एक की पहचान पिंकी के रूप में हुई है। पिंकी ने पुलिस को पूछताछ के दौरान बताया कि तिमंग ने उसे पिछले वर्ष इसलिए तलाक दे दिया था, क्योंकि वह परिवार का पेट पालने में अक्षम था।
पुलिस अधिकारी ने कहा, "तलाक के बाद पिंकी ने गुवाहाटी में अपनी मां के घर शरण लिया और अपनी जरूरतों के लिए किसी काम की तलाश में जुट गई।"
लेकिन बहुत जल्द ही उसके इर्द-गिर्द के लोगों ने ही उसकी मजबूरी का नाजायज फायदा उठाया। एक परिचित महिला ने उसे 10,000 रुपये की मदद का वादा किया और उसके बदले में उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया।
गिरफ्तारी के बाद पिंकी को ग्लोबल आर्गनाइजेशन फॉर लाइफ डेवलपमेंट (जीओएलडी) नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा गुवाहाटी में चलाए जा रहे एक महिला अनाथ आश्रम में रखा गया था। बाद में कुछ काउंसिलिंग के बाद उसे उसकी मां को सौंप दिया गया।
जीओएलडी की समन्वयक मनुमति बर्मन ने आईएएनएस से कहा, "यह दुखद है कि आतंकी हमलों की शिकार महिलाओं का क्रूरता के साथ शोषण किया जा रहा है और उनमें से कई को वेश्यावृत्ति जैसे घृणित काम के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस तरह की और भी तमाम कहानियां होंगी, जो कि सामने नहीं आ पाई हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।