'भारत के बारे में पाकिस्तान को भरोसा में ले अमेरिका'
वाशिंगटन, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान की पारंपरिक रक्षा नीति भारत को अपना सैन्य शत्रु मानती है, न कि आंतरिक चरमवाद को। ऐसे में पेंटागन की एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका को चाहिए कि वह भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्ते के बारे में इस्लामाबाद को भरोसे में ले।
रक्षा विभाग में नीतिगत मामलों की अधीनस्थ मंत्री मिसेल फ्लनरेय ने गुरुवार को हाउस आर्म्ड सर्विसिस कमेटी को बताया, "यद्यपि चरमपंथी हमलों ने पाकिस्तानी सैनिकों की तैनाती में बदलाव के लिए प्रेरित किया है, लेकिन भारत के बारे में पाकिस्तान की सामरिक चिंता पूर्ववत बनी हुई है।"
फ्लर्नोय ने कहा, "हमें पाकिस्तान को बराबर भरोसा दिलाते रहना चाहिए कि जिस तरह से वह आतंकी खतरों का सामना कर रहा है, उस तरह का खतरा उसे उसकी पूर्वी सीमा पर नहीं है।"
फ्लर्नोय ने कहा, "मूल दिक्कत की जड़ें अमेरिका और पाकिस्तान के बीच अविश्वास की पुरानी परंपरा से जुड़ी हुई हैं। पूर्व अमेरिकी प्रतिबंधों, अमेरिका-भारत के बीच बढ़ते रिश्ते को लेकर पाकिस्तान की पुरानी चिंताओं, क्षेत्र में अमेरिका के बने रहने को लेकर उसकी आशंकाओं ने पाकिस्तान को एक थका-हारा साझेदार बना दिया है।"
फ्लर्नोय का बयान ऐसे समय में आया है, जब एक दिन पहले ही पेंटागन ने अमेरिकी कांग्रेस को सूचित किया है कि पाकिस्तानी सेना ने आतंकवाद और आतंरिक असुरक्षा की स्थिति से निपटने के लिए अपने 100,000 से अधिक सैनिकों को भारत से लगी पूर्वी सीमा से हटा कर अफगानिस्तान से लगी सीमा पर तैनात कर दिया है।
फ्लर्नोय ने कहा कि पाकिस्तान की पारंपरिक रक्षा नीति में उसका सैन्य मुकाबला भारत से रहा है, न कि आतंकवाद से। फ्लर्नोय ने कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व पहले इन आतंकी सगठनों को अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा मानने के प्रति उदासीन था।
फ्लर्नोय ने कहा, "अतीत में हिंसक चरमवादियों से निपटने को लेकर पाकिस्तान का दृष्टिकोण बहुत संकुचित था। यहां तक कि वह चरमवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लेकर अनिर्णय की स्थिति में था। उसने उनके साथ संघर्ष विराम समझौता तक किया था। लेकिन अचानक सबकुछ ध्वस्त हो गया है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।