भाजपा या कांग्रेस, झामुमो में मतभेद
वैसे झामुमो के अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन पहले ही भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को पत्र लिखकर कटौती प्रस्ताव पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पक्ष में मतदान करने पर खेद जता चुके हैं। दूसरी ओर उनकी पार्टी के भीतर ही इस मामले पर अलग राय उभरकर सामने आ गई है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक सिमोन मरांडी ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, "सोरेन ने संप्रग के पक्ष के मतदान करके अपनी राय जाहिर कर दी है। उन्होंने अपनी इस राय के विरोध में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हम सोरेन के रुख के साथ हैं और संप्रग का समर्थन करेंगे।"
मरांडी ने कहा, "हेमंत सोरेन सिर्फ शिबू सारेन के पुत्र हैं, हमारे नेता नहीं हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को समर्थन करने का सवाल ही नहीं है। हम झारखण्ड में संप्रग के नेतृत्व वाली सरकार का साथ देंगे।"
इसी तरह पार्टी के एक और विधायक टेकलाल महतो ने कहा, "हम संप्रग सरकार चाहते हैं। हमें राजग का मुख्यमंत्री मंजूर नहीं है।" दूसरी ओर हेमंत ने मरांडी से मुलाकात की लेकिन उन्होंने अपना रुख नहीं बदला।
उधर, शुक्रवार सुबह भाजपा ने झारखण्ड में सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापसी के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी। पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला किया गया।
इससे पहले भाजपा ने कटौती प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का समर्थन करने वाले सोरेन की सरकार से अलग होने का फैसला किया था। उल्लेखनीय है कि विपक्ष द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव पर हुए मतदान में सोरेन ने कांग्रेस की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के समर्थन में मत डाला था।
संसदीय बोर्ड की बैठक खत्म होने के बाद नई दिल्ली में भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने संवाददाताओं को बताया, "झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की ओर से दो पत्र भाजपा नेतृत्व को मिले हैं। एक पत्र खुद सोरेन की ओर से और दूसरा उनके पुत्र हेमंत सोरेन की तरफ से आया है। सोरेन ने अपने पत्र में आग्रह किया है कि झारखण्ड के गरीब तबके के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य को कांग्रेस के कुशासन में नहीं धकेलना चाहिए और वहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ही रहनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "29 अप्रैल को हमें हेमंत सोरेन का पत्र मिला। इसमें उन्होंने कहा है कि बीते दो दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए झामुमो राज्य में भाजपा के नेतृत्व में सरकार के गठन के लिए तैयार है। संसदीय बोर्ड ने इन पर विचार करने के बाद अभी समर्थन वापसी के फैसले पर रोक लगा दी। अब हम सोरेन सरकार में शामिल सहयोगी दलों झामुमो, जनता दल (युनाइटेड) और ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) से बातचीत करेंगे और इसके बाद आगे का फैसला होगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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