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राजनीतिक इच्छाशक्ति के बगैर गरीबी का खात्मा मुश्किल : पिम्पले

By Staff
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यूनिसेफ, समर्थन और विकास संवाद द्वारा आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पिम्पले ने कहा कि 10 वर्ष पहले सन् 2000 में दुनिया के 189 देशों ने आगामी 15 वर्षो में गरीबी को आधा करने के लिए सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल) बनाकर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। आगामी 22 व 23 सितंबर 2010 को इन देशों के प्रतिनिधि न्यूयार्क में जुटेंगे और आगामी पांच वर्षो की सघन कार्य योजना पेश करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत हर मामले में सक्षम है। वर्ष 1990 के बाद हालात में बदलाव आया है। आज भारत अनुदान पर निर्भर नहीं है। वह कर्ज में नहीं डूबा है। घरेलू माल खपाने के लिए बाजार उपलब्ध है। इतना ही नहीं वह कई देशों के लिए दानदाता की भूमिका में है। इसके बावजूद चाहे योजना आयोग हो या तेंदुलकर की रिपोर्ट या सक्सेना कमेटी की रिपोर्ट, सभी बताती है कि देश में लगभग 40 करोड़ लोग गरीब हैं। यह स्थिति चिंताजनक है।

यूनिसेफ की राज्य प्रमुख डा. तान्या गोल्डकर ने मध्य प्रदेश की स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की चर्चा करते हुए कहा कि यहां हालात कुछ सुधरे हैं मगर उसकी रफ्तार अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को उनका अधिकार मिलना चाहिए ताकि उनकी जिंदगी में सुधार आ सके।

गोल्डकर का अभिमत है कि भारत के बगैर सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों को दुनिया हासिल नहीं कर सकती और मध्य प्रदेश के बिना भारत में इन लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता। जरूरत इस बात की है कि अगले कुछ वर्षो मे इसके लिए ज्यादा प्रयास किए जाएं।

समर्थन के योगेश कुमार ने कहा कि लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है कि वर्ग विशेष को ध्यान मे ंरखकर योजनाएं बनाई जाएं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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