नक्सलियों ने तंत्र की खामियों का फायदा उठाया : पिल्लई
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह सचिव जी.के.पिल्लई ने कहा है कि 'अतिउत्साहित' अधिकारियों ने जनजातियों को जंगलों में स्थित उनके आवासों से हटाने का प्रयास किया, जिसका फायदा उठाकर नक्सलियों ने उन्हें अपने पक्ष में कर लिया।
पिल्लई ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, "अतिउत्साहित जिलाधिकारियों और अन्य अधिकारियों द्वारा जनजातियों को जंगल से बाहर करने के प्रयास से समस्या उत्पन्न हुई और इससे पैदा हुई रिक्तता में नक्सलियों ने प्रवेश किया।"
पिल्लई ने कहा कि अधिकारियों का उदेश्य अच्छा था लेकिन उसे लागू करने का तरीका बुरा था। उन्होंने कहा कि कुछ वन्य ग्रामों से जनजातियों को भगाया गया। पर्यावरण संरक्षणवादियों ने कहा कि ये स्थान वन्यजीव अभयारण्य हैं और 'सब को भगाओ'।
पिल्लई ने कहा, "प्रशासन के इस कदम से जनजातियों ने समझा कि सरकार केवल जानवरों में दिलचस्पी रख रही है, उनमें नहीं। जनजातियों के इसी सोच का नक्सलियों ने फायदा उठाया। नक्सलियों ने जनजातियों से कहा कि सरकार उनसे अधिक बाघों में दिलचस्पी रखती है।"
पिल्लई ने कहा कि सरकार वन्य अधिनियमों में संशोधन कर जनजातियों के दिल और दिमाग को जीतने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातियों को क्षेत्र के विकास में शामिल करना चाहती है।
पिल्लई ने कहा, "अब हम जनजातियों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे सरकारी योजनाओं का हिस्सा बनें।" उन्होंने कहा कि सरकार ने जनजातियों को वन्य भूमि अधिकार दिया है।
पिल्लई ने कहा, "पुराने वन कानून के अनुसार सभी वन्य उत्पाद सरकार के होते थे। ऐसे में यदि वे जंगल से कुछ लेते थे तो वन अधिकारी उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लेते थे।" उन्होंने कहा कि जनजातियों के खिलाफ ऐसे हजारों मामलों को वापस ले लिया गया है।
केंद्रीय गृह सचिव ने कहा, "नए कानून के तहत जनजातियों को चार हेक्टेयर भूमि रखने की इजाजत मिली है। सरकार उन्हें पट्ट (कानूनी दस्तावेज) देगी।"
पिल्लई ने कहा कि सरकार का लक्ष्य जनजातीय इलाके में नागरिक प्रशासन बहाल करना है। उन्होंने कहा, "सुरक्षा बलों को नागरिक प्रशासन बहाल करने के लिए वहां भेजा गया है। वे वहां तीन वर्षो तक रहेंगे और पुलिस स्टेशन, राशन की दुकान, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र आदि स्थापित करेंगे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।