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शीर्ष न्यायाधिकरणों में 10 फीसदी महिलाएं भी नहीं (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : 8 मार्च पर विशेष)

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राणा अजीत

नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सर्वोच्च न्यायालय में एक भी महिला न्यायाधीश नहीं है। जहां सरकार संसद व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी कर रही है वहीं देश के शीर्ष न्यायाधिकरणों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है।

सर्वोच्च न्यायालय की वकील कामिनी जायसवाल कहती हैं, "सर्वोच्च न्यायालय के लिए यह शर्म की बात है कि वहां कोई भी महिला न्यायाधीश नहीं है। यह उनके लिए भी शर्म की बात है जो इन न्यायधीशों की नियुक्ति करते हैं।"

वह कहती हैं कि पिछले छह दशकों में सिर्फ तीन ही महिलाएं सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश हुई हैं। एम. फातिमा बीवी, सुजाता वी. मनोहर और रूमा पाल।

देश की विभिन्न अदालतों में बतौर वकील कई नामचीन महिलाओं इस पेशे में अपना नाम रोशन कर रही हैं लेकिन बतौर न्यायाधीश शीर्ष अदालतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज 10 फीसदी से भी कम है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश के 21 उच्च न्यायालयों में फिलवक्त कुल 630 न्यायाधीश हैं, जिनमें मात्र 21 महिलाएं हैं। न्यायपालिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का यह आंकड़ा महज 8.25 फीसदी बैठता है। यूं तो देश के उच्च न्यायालयों में कुल 895 न्यायाधीश हो सकते हैं। इस आधार पर देखा जाए तो महिलाओं का प्रतिनिधित्व 5.8 फीसदी ही है।

जानीमानी महिला वकील पिंकी आनंद कहती हैं, "इससे यही संदेश जाता है कि उच्च न्यायलयों में अच्छी महिला वकीलों व न्यायाधीशों की संख्या बहुत कम है, इसलिए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत नहीं किया जाता है।"

देश के उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की संख्या पर गौर किया जाए तो अन्य उच्च न्यायालयों की तुलना में दिल्ली उच्च न्यायालय में कुल 42 न्यायाधीशों में सर्वाधिक आठ महिलाएं हैं। बम्बई और मद्रास उच्च न्यायालय में महिलाओं की संख्या सात-सात है।

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है जहां 78 न्यायाधीश हैं। यहां तो महिला न्यायाधीशों की संख्या कुल चार ही है।

इस बारे में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने पिछले दिनों कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रस्ताव न्यायपालिकाओं द्वारा होता है और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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