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महिला आरक्षण विधेयक : महिलाओं की उम्मीदों को पर लगे (राउंडअप)

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स्कूली शिक्षिका अरूषा वर्मा कहती हैं, "मुझे पूरी उम्मीद है कि इस बार महिला आरक्षण विधेयक पारित होकर रहेगा। इस बार विधेयक को जितना समर्थन मिला है, वह बहुत सुखद है। इस विषय पर राजनीतिक दलों ने अपने मतभेद भुला दिए हैं।"

एक अन्य छात्रा राखी बजाज कहती हैं, "इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वामपंथी दल भी विधेयक के समर्थन में हैं। मुझे उम्मीद है कि इस बार महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलकर रहेगा। ऐसा हो गया तो यह महिला आंदोलन में मील का पत्थर साबित होगा।"

गृहिणी अराधना डे का कहना है, "इस विधेयक को पेश करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का सही मौका चुना गया है।"

सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की अध्यक्ष रंजना कुमारी कहती हैं, "हम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील और महिला नेताओं के शुक्रगुजार हैं, जिनके लगातार प्रयासों से महिला आरक्षण विधेयक को संभव बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ सके हैं।"

इधर, महिला आरक्षण विधेयक के प्रबल विरोधी जनता दल (युनाइटेड) ने रविवार को संकेत दिया है कि सोमवार को राज्यसभा में विधेयक पर उसका रुख नरम रहेगा।

जद (यू) के राज्यसभा सदस्य अली अनवर अंसारी ने कहा है कि पार्टी नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख पर विचार किया जाएगा।

अंसारी ने आईएएनएस से कहा, "जद (यू) सांसदों की सोमवार सुबह पार्टी अध्यक्ष शरद यादव के निवास पर बैठक होगी, जिसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया जाएगा।"

जद (यू) ने अभी इस विधेयक के समर्थन या विरोध के लिए सांसदों को व्हिप जारी नहीं किया है।

अंसारी ने कहा कि ऊपरी सदन में इस विधेयक के पास हो जाने के पूरे आसार हैं ऐसे में सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने का कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि पार्टी के सांसद विधेयक पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रह सकते हैं।

ज्ञात हो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि वह विधेयक के पक्ष में हैं।

जद (यू) के अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) इस विधेयक के विरोध में हैं। उनकी मांग है कि इसके तहत महिलाओं को दिए जाने वाले 33 फीसदी आरक्षण में मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के लिए अलग से कोटा तय किया जाना चाहिए। राज्यसभा में सपा के 11 और राजद के चार सदस्य हैं।

राजद नेता और पार्टी के सचेतक राजनीति प्रसाद ने रविवार को कहा कि पार्टी के सांसद विधेयक का विरोध करेंगे और उसके खिलाफ वोट देंगे।

प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, "सोमवार को सदन में मौजूद रहने और विधेयक के विरोध में वोट देने के लिए पार्टी सांसदों को व्हिप जारी किया गया है।"

प्रसाद ने कहा कि पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्व सरकार में कांग्रेस के प्रबल सहयोगी थे लेकिन महिला आरक्षण विधेयक पर उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया गया है।

सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने रविवार को कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक मुस्लिम व दलित विरोधी है और इससे विधानसभाओं और विधानपरिषदों में इन समुदायों के लोगों के चुने जाने की संभावना कम हो जाएगी।

सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और उड़ीसा जैसे राज्यों में वैसे भी नाम मात्र के मुस्लिम सदस्य चुने जाते हैं। अब यह विधेयक लागू हो जाने के बाद इन राज्यों में रही-सही संभावनाएं भी खत्म हो जाएंगी।"

विधेयक के मौजूदा प्रारूप का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि दलित महिलाओं के लिए कोटा तय किए जाने से दरअसल दलितों के कोटे में ही कमी आएगी।

भाजपा और कांग्रेस के रुख की आलोचना करते हुए मुलायम ने कहा कि दोनों पार्टियों की मंशा मुस्लिमों, दलितों और पिछड़े वर्गो के हितों को नुकसान पहुंचाना है।

दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। पार्टी के राज्यसभा में 12 सदस्य हैं।

राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए कुल 233 में से 155 सदस्यों का समर्थन चाहिए। विधेयक के तीन प्रमुख समर्थक कांग्रेस, भाजपा और वामपंथी दलों की कुल संख्या 138 तक पहुंचती है। हालांकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, बीजू जनता दल, नेशनल कांफ्रेंस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने भी विधेयक का समर्थन किया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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