वैश्विक वित्तीय पुनर्गठन के लिए भारत-सऊदी अरब महत्वपूर्ण : प्रधानमंत्री (लीड-1)
अरूणिम भूइयां
रियाद, 28 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक और वित्तीय पुनर्गठन के लिए भारत और सऊदी अरब जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
मनमोहन सिंह ने रविवार को काउंसिल आफ सऊदी चैंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए कहा, "हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बाकी दुनिया के साथ एकीकरण की घटना ने नए अवसर सृजित किए हैं, लेकिन साथ ही इसने नई चुनौतियों को भी खड़ा किया है।"
सिंह ने कहा, "वैश्विक वित्तीय संकट ने वैश्विक कार्रवाई और सुधारों के लिए एक व्यापक एजेंडा सामने रखा है। ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय ढांचे के पुनर्गठन में भारत और सऊदी अरब जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका जी-20 समूह और अन्य समूहों में महत्वपूर्ण होगी।"
मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि ने दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के लिए अपार अवसर खड़े किए हैं। सऊदी में भारतीय निवेश में पर्याप्त बढ़ोतरी हुई है और आज यहां भारतीय निवेश की स्थिति दो अरब डॉलर से अधिक की है। यह निवेश 500 संयुक्त उपक्रमों में किया गया है।
मनमोहन सिंह ने कहा, "कई प्रमुख भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब में पहले से अपनी उपस्थिति बना रखी है। हमारी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आरआईटीईएस को हाल में सऊदी में नार्थ-साउथ रेलवे परियोजना के लिए ठेका मिला है। लेकिन अभी और भी बहुत कुछ करने की संभावना है।"
नार्थ-साउथ रेलवे परियोजना सऊदी अरब के कुछ अति दुर्गम इलाकों में 2,200 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाने की एक महत्वाकांक्षी योजना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली आधुनिक अधोसंरचना के लिए भारत की जरूरतें व्यापक हैं। उन्होंने सऊदी निवेशकों और उद्यमियों का आह्वान किया कि वे भारत में निवेश के अवसरों की तलाश करें।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं खास तौर से निर्माण, विनिर्माण, फार्मास्युटिकल, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, दूरसंचार, जैव प्रौद्योगिकी, पर्यटन और अन्य सेवा क्षेत्रों का जिक्र करूंगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "शिक्षा और कौशल विकास, दोनों देशों के लिए प्राथमिक महत्व के क्षेत्र हैं। ज्ञान आधारित उद्योगों के क्षेत्र में भारत अपने आप को साबित कर चुका है।"
सिंह ने कहा, "मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में सऊदी अरब के साथ अपने अनुभव को साझा करने में भारत को खुशी होगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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