आम बजट: कोयला नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा
नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा शुक्रवार को पेश वित्तीय वर्ष 2010-11 के आम बजट के कुछ अहम बिंदु इस प्रकार हैं:
- वर्ष 2010-11 योजनगत आवंटन का 46 फीसदी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए होगा।
- कोयला नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा।
- नवीन एंव नवीनकरणीय ऊर्जा के लिए आवंटित राशि 620 करोड़ रुपये की राशि को 61 फीसदी बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये किया गया।
- राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष का गठन होगा।
- प्राकृतिक संपदा की रक्षा के लिए गोवा को 200 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज।
- सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
-कृषि क्षेत्र के विकास के लिए चार आयामी रणनीति।
- वर्ष 2010-11 में मौसम के अनुकूल कृषि के लिए 200 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
-अनाज के भंडारण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी अगले दो वर्ष तक जारी रहेगी।
-सूखा और बाढ़ को देखते हुए ऋण चुकाने की अवधि जून 2010 तक बढ़ाई जाएगी।
- पांच बड़े खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं की स्थापना होगी।
- अप्रैल-दिसंबर 2009 के बीच विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 20.9 अरब डॉलर रहा।
- एफडीआई नीति को और आसान बनाने का प्रस्ताव।
- बैंकिंग क्षेत्र के लिए उच्चतम स्तरीय वित्तीय स्थिरता परिषद का गठन
- भरतीय बैंक संगठन निजी क्षेत्र को अतिरिक्त लाइसेंस देंगे।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए अग्रणी पूंजी का प्रावधान।
- अगले छह माह में सार्वजनिक कर्ज कम करने का रोडमैप तैयार।
- अप्रैल 2011 से प्रत्यक्ष कर कोड लागू होगा।
- सरकार बिक्री कर का नया ढांचा तैयार करने में जुटी है, और इसके अप्रैल 2011 में लागू किए जाने की आशा।
- वर्ष 2009-10 में विनिवेश से 35 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा हुए जो वर्ष 2010-11 में इससे ज्यादा होगा।
- अप्रैल 2010 से नई उर्वरक नीति, इससे उत्पादकता बढ़ेगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
- वर्ष 2009-2010 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई, दूसरी तिमाही में इसने मजबूत वापसी की, तीसरी और चौथी तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद विकास की दर 7.2 फीसदी या उससे ऊपर रहेगी।
-जनवरी में निर्यात के आंकड़ें उत्साहजनक थे।
- 10 फीसदी की विकास दर हासिल करना बहुत दूर की चीज नहीं है।
- खाद्यान्न महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने त्वरित कदम उठाए हैं।
- प्रोत्साहन पैकेजों की समीक्षा की जरूरत, विकास को ज्यादा विस्तृत बनाने की जरूरत।
-भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट से बेहतर तरीके से निपटा, देश की अर्थव्यवस्था एक वर्ष पूर्व की तुलना में काफी बेहतर।
- वर्ष 2009 में देश की अर्थव्यवस्था ने अनिश्चितता का सामना किया, दक्षिणी पश्चिमी मानसून में देरी के कारण कृषि उत्पादन पर असर पड़ा।
-अब पहली चुनौती नौ फीसदी की विकास दर को हासिल करना है। इसके बाद विकास दर दहाई अंकों में पहुंचाना है।
-दूसरी चुनौती विकास को समग्र बनाना है, खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाना होगा।
- तीसरी चुनौती सरकारी जन वितरण प्रणाली की कमजोरियों से निपटना है, इस दिशा में लंबी दूरी तय किया जाना है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।