नेताजी की 'अमानत' सरकार को सौंपना चाहता हैं एक हिंदुस्तानी
नई दिल्ली, 22 जनवरी (आईएएनएस)। थाईलैंड में रहने वाले त्रिलोक सिंह चावला आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दो पिस्तौलों को सहेजकर रखे हुए हैं। वह अपने जीते जी नेताजी की यह 'अमानत' भारत सरकार को सौंपना चाहते हैं।
नेताजी के सचिव रहे 89 वर्षीय त्रिलोक ने इस संबंध में बात करने के लिए अपने बेटे संतोष सिंह चावला को दिल्ली भेजा है। संतोष विगत दो हफ्तों से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने की कोशिश हैं ताकि इन दोनों पिस्तौलों को सरकार को सौंपकर अपने पिता की अधूरी ख्वाहिश पूरी कर सकें।
त्रिलोक दोनों पिस्तौलों 'कोल्ट . 32' और 'एफएन .635' अपने साथ रखते हैं। वह इन हथियारों की रोजाना पूजा भी करते हैं। उन्होंने अपने बेटे संतोष को मनमोहन सिंह से मुलाकात करने के लिए भेजा है। उल्लेखनीय है कि 23 जनवरी को नेताजी 113वीं वर्षगांठ है।
बैंकॉक से दूरभाष पर आईएएनएस से बातचीत में त्रिलोक ने कहा, "नेताजी चाहते थे कि आजादी के बाद मैं उन्हें ये दोनों पिस्तौलें लाल किले में लौटा दूं। मुझे इन हथियारों को सौंपने के आठ दिन बाद ही एक विमान हादसे में उनके निधन की खबर आई। मैं अभी भी नहीं मानता कि नेताजी हमारे बीच नहीं हैं और मैं आजतक उनकी राह देख रहा हूं। परंतु उम्र बढ़ने के साथ अब चाहता हूं कि उनकी अमानत को अपने मुल्क को ही सौंप दिया जाए"
उनके पुत्र संतोष थाईलैंड में एक रिटेलर और 'इंडो-थाई फ्रेंडशिप एसोसिएशन' के अध्यक्ष हैं। संतोष ने कहा, "मैं एक मिशन पर आया हूं और इसके खत्म होते ही मेरे पिता का फर्ज पूरा हो जाएगा।.. हम चाहते हैं कि भारत के लोग नेता जी के इन दोनो पिस्तौलों को देखने से महरूम न रहें।"
संतोष का कहना है कि प्रवासी भारतीय मामलों मंत्रालय ने इस मामले में रुचि दिखाई है। थाईलैंड में भारत के राजदूत पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने पिस्तौल लेने के लिए त्रिलोक से मुलाकात की इच्छा जताई है।
त्रिलोक का कहना है कि भारत सरकार इन पिस्तौलों को स्वीकार करने में अनिच्छुक दिखती है और इसकी वजह भी नहीं पता। उन्होंने कहा कि इन्हें वापस लेने के लिए भारत सरकार को थाईलैंड सरकार से सीधे संपर्क साधना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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