'पक्षपात कर रहा है पेट्रोलियम मंत्रालय'
दोनों कंपनियों के बीच विवाद पर सुनवाई कर रही तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष रिलायंस नेचुरल की ओर से वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने यह बात कही। प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में न्यायमूर्ति आर. वी. रवींद्रन और न्यायमूर्ति पी. सथशिवम सदस्य हैं।
कोर्ट में जिरह
जेठमलानी ने कहा, "मैं यह बात पूरी सरकार के बारे में नहीं कह रहा हूं, लेकिन आपका मंत्रालय (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस) रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ षड़यंत्र में शामिल है। हम इसे लिखित रूप में दे सकते हैं और इस संबंध में एक शपथ पत्र दाखिल कर सकते हैं।"
जेठमलानी ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से अदालत में उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता मोहन परसरान रिलायंस इंडस्ट्रीज के वकील हरीश साल्वे को उनके द्वारा सरकारी बिजली कंपनी के खिलाफ दायर याचिका को इस मामले से जोड़ने से रोकना चाह रहे थे।
साल्वे ने सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी को गैस की आपूर्ति 2.34 डॉलर की दर से करने के बारे में अदालत में कहा कि इसे अंतर्राष्ट्रीय बोली के माध्यम से 'प्रतियोगी वाणिज्यिक कीमत' के आधार पर तय किया गया है। एनटीपीसी भी मुकदमे से संबंधित है।
पेट्रोलियम मंत्रालय पर आरोप
उन्होंने कहा कि लेकिन रिलायंस नेचुरल के मामले में 2.34 डॉलर की दर 'रियायती' थी और कंपनी ने यह कीमत केवल एनटीपीसी के लिए तय की थी और यह वाणिज्यिक फैसले के आधार पर तय नहीं किया गया था।
इस पर परसरान ने अदालत में कहा कि 2.34 डॉलर की दर से एनटीपीसी को गैस की आपूर्ति का मामला मुकदमे से जुड़ा है और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस समझौते से इसलिए अपने कदम पीछे खींच लिए क्योंकि वह अंतिम स्थिति में नहीं पहुंच पाया। इस पर जेठमलानी ने पेट्रोलियम मंत्रालय और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच गठजोड़ का आरोप लगाते हुए टिप्पणी की।
पूरे दिन चली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से गैस से जुड़ी कई जानकारियां मांगी और पूछा कि क्या वह बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक रिलायंस नेचुरल को गैस की आपूर्ति कर सकती है।
एनटीपीसी के मामले में उच्च न्यायालय ने 2.34 डॉलर की दर को उचित बताया था। इस पर साल्वे ने कहा, "रिलायंस इंडस्ट्रीज सरकार के पास जाएगी और उसकी मंजूरी मांगेगी।"
गुरुवार को चर्चा जारी रहेगी
वकील ने यह भी कहा कि रिलायंस नेचुरल को अभी अपने ऊर्जा संयंत्र को क्रियान्वित करना है और ऐसे में वह गैस हासिल करने के योग्य नहीं है क्योंकि इस बारे में सरकार की नीति में केवल ऊर्जा और उर्वरक उत्पादन कंपनियों को गैस की आपूर्ति करने की बात कही गई है।
बुधवार को बहस पूरी नहीं हो सकी और गुरुवार को इस पर चर्चा जारी रहेगी। यह विवाद कृष्णा गोदावरी बेसिन से निकलने वाली गैस की आपूर्ति से जुड़ा है। गैस की खोज का ठेका रिलायंस इंड्रस्ट्रीज को वर्ष 2005 में मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी में बंटवारे से पूर्व मिली थी।
परिवार पुनर्गठन समझौता के मुताबिक अनिल अंबानी समूह 17 वर्षों तक प्रतिदिन 2.8 करोड़ यूनिट गैस 2.34 डॉलर की दर से चाहती है जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज का कहना है कि वह 4.20 डॉलर प्रति यूनिट की दर से गैस बेच सकती है। उसका दावा है कि यह दर सरकार ने तय किया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।