बौद्घ भिक्षुणी बनने का सिलसिला जोर पकड़ रहा है: तेनजिन
नई दिल्ली, 20 अप्रैल(आईएएनएस)। पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी भारी संख्या में महिलाएं बौद्घ भिक्षुणी बनने की राह पर हैं। प्रथम तिब्बती बौद्घ भिक्षुणी जेतसुनमा तेनजिन पाल्मो का यह कहना है।
उन्होंने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा, "हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में महलिाएं बौद्घ भिक्षुणी बन रही हैं। वे पारंपरिक गृहिणी के चोले से मुक्त होकर बौद्घ धर्म संघ में भी प्रवेश कर रही हैं। गृहिणी बने रहने का मतलब है पुरुषों की अनुगामिनी बने रहना और पारलौलिक दुनिया में कम से कम रुचि लेना। भिक्षुणी बनकर वे मानसिक शांति और सुकून हासिल कर रही हैं।"
तेनजिन पाश्चात्य दुनिया में बौद्घ भिक्षुणी बनने वाली प्रथम महिलाओं में से हैं। उन्होंने तिब्बती बौद्घ धर्म का सम्मानित पद 'रिनपोछे' हासिल किया है । वह हिमाचल की कांगड़ा घाटी स्थित डोंगुवी गाटसाल लिंग मठ की प्रमुख बनाई गई हैं। हिमाचल जाने के क्रम में वह एक दिन के लिए दिल्ली में रुकीं।
21 वर्ष की उम्र में बौद्घ धर्म में दीक्षित होने वाली 66 वर्षीया तेनजिन ने कहा, "1964 में जब मुझे बौद्घ धर्म में दीक्षित किया गया था तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मेरे बौद्घ बनने के बाद मेरी मां ने भी यह धर्म स्वीकार कर लिया।"
भिक्षुणी बनने के लिए उन्हें सर्वाधिक कठिन ध्यान मुद्राओं पर अमल करना पड़ा और लाहौल में उन्होंने एक गुफा में अकेले 12 वर्ष बिताए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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