जीवाश्म बताता है बिच्छू के अगले पंजे बनने की कहानी
जर्मनी में बुंदेनबैक के निकट 'स्कींडरहैन्स बार्टेल्सी' नामक नमूना जीवाश्मीकृत रूप में पाया गया। यह क्षेत्र इस तरह के जीवाश्मों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इस जीवाश्म द्वारा प्राप्त निष्कर्षो को सामूहिक रूप से हंसरक स्लैट के रूप में जाना जाता है।
हंसरक स्लैट ने पूर्व में आर्थोपोड श्रेणी के जंतुओं के विकास को समझने में कुछ अति महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे।
याले के पीबोडी म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के निदेशक डेरेक ब्रिग्स ने कहा, "बड़े कैंब्रियन जलीय परभक्षी जैसे सिर व आधुनिक आर्थोपाड जैसे शरीर वाला एनोमालोकैरिस, एक एैसा नमूना है जो इस असाधारण संरचना के एक मात्र उदाहरण के रूप में जाना जाता है।"
पीबोडी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि वैज्ञानिक बिच्छू के सिर पर पाए जाने वाले पंजों की विकास प्रकिया को लेकर काफी परेशान हो चुके हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि स्किंडरहैंस इसके बारे में एक सूत्र तो देता ही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।