समुद्री लुटेरों का कहर याद कर कांप उठता है हिमांशु
भुवनेश्वर, 3 फरवरी(आईएएनएस)। "उन्होंने हमें उत्पीड़ित किया और जान से मारने की धमकी दी। हम मौत के साये में बिताए दिनों को ताउम्र नहीं भुला पाएंगे।" यह कहना है सोमालियाई लुटेरों के चंगुल में फंसने वाले एक जहाज के चालक दल के सदस्य हिमांशु कार का।
उड़ीसा के हिमांशु डकैतों की गिरफ्त में बिताए दिनों को याद कर कांप उठते हैं। उनके जहाज पर डकैतों ने अदन की खाड़ी में कब्जा जमा लिया था। करीब दो महीने बाद इन दरिंदों के चंगुल से आजाद होने वाले हिमांशु ने आईएएनएस को बताया, "अत्याधुनिक हथियारों से लैस छह डकैत एक छोटी नाव में सवार होकर आ धमके। उन्होंने हमारे जहाज पर फायरिंग की और जहाज के अगले हिस्से को क्षति पहुंचाई।"
हिमांशु डकैतों के हत्थे चढ़े लाइबेरियाई जहाज एमटी बिसकागलिया के 31 सदस्यीय चालक दल में शामिल थे। जहाज को 28 नवंबर को अगवा किया गया थाा और दो महीनों की भारी जद्दोजहद के बाद इन लोगों को मुक्ति मिली।
डकैतों की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच थी। वह बताते हैं, "डकैतों ने शुरू में कई लोगों को नीचे सोने के लिए बाध्य किया और जान से मारने की धमकी भी दी। ये सभी एके47 से लैस थे। हमें ह्वील हाउस में सोने के लिए बाध्य किया। हमें बार-बार धमकी दी गई कि अगर फिरौती नहीं मिली तो हमें मारकर समुद्र में फेंक दिया जाएगा। यहां तक वे हमारे कपड़े का भी इस्तेमाल करते थे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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