लिट्टे के अंतिम गढ़ मुल्लैतिवु पर श्रीलंकाई सेना का कब्जा (राउंडअप)
कोलंबो, 25 जनवरी (आईएएनएस)। श्रीलंकाई सेना ने रविवार को तमिल विद्रोही संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के अंतिम गढ़ माने जाने वाले मुल्लैतिवु कस्बे पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच भीषण लड़ाई हुई और सेना को लिट्टे की ओर से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
श्रीलंका के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सरथ फोंसेका ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर घोषणा की, "लिट्टे का आतंकी गढ़ मुल्लैतिवु पर हमारे जांबाज सैनिकों ने कब्जा कर लिया है। अब यह पूरी तरह हमारे नियंत्रण में है।"
लिट्टे के खिलाफ निर्णायक युद्ध का खुद संचालन कर रहे फोंसेका ने कहा, "लंबे इंतजार के बाद हमें यह विजय मिली है। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 12 साल के बाद हमारे जांबाज सैनिकों ने मुल्लैतिवु शहर पर कब्जा कर लिया। पूर्नेयन, एलिफेंट पास, पारंथन और किलिनोच्चि के बाद यह सबसे बड़ी विजय है।"
सेना प्रमुख ने नक्शे के सहारे बताया कि हमारी सेना ने 40 किलोमीटर घने जंगलों से होकर मुल्लैतिवु पहुंचने में सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि जनवरी 2008 में ही सेना ने वेलीओया के रास्ते मुल्लैतिवु के लिए प्रस्थान किया था।
उन्होंने कहा कि सेना ने हजारों निर्दोष तमिलों को मुक्त किया जो कि लिट्टे के कठोर दिशा-निर्देशों के अनुकूल जीने को विवश थे।
श्रीलंकाई सेना के वरिष्ठ अधिकारी ब्रिगेडियर उदय नानायक्कारा ने कहा, "अब लिट्टे विद्रोही विश्वमधु और पुथुकुदियरुप्पु के बीच सीमित रह गए हैं।"
इससे पहले ब्रिगेडियर उदय नानायक्कारा ने कहा था कि सेना की 59 वीं डिवीजन कस्बे के आंतरिक भाग में कार्रवाई कर रही है। कस्बे में लिट्टे के संस्थापक और प्रमुख वेलुपिल्लै प्रभाकरन के मौजूद होने के कोई संकेत नहीं हैं।
नानायक्कारा ने कहा कि कस्बे में प्रवेश करते समय सेना को लिट्टे विद्रोहियों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था लेकिन अंतत: सेना कामयाब रही। उन्होंने कहा कि जब सेना ने शहर में प्रवेश किया तो उस समय वहां आम नागरिक नहीं थे।
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि सेना की 593 वीं ब्रिगेड ने लेफ्टिनेंट कर्नल जयंथा गुणरत्ने के नेतृत्व में रविवार सुबह अचानक हमला करके मुल्लैतिवु कस्बे में प्रवेश कर लिया।
लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। माना जा रहा है कि तमिल नेता श्रीलंका से फरार हो चुका है। उसके मलेशिया पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्रभाकरन ने 1976 में लिट्टे की स्थापना की थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।