मध्यप्रदेश की नई विधानसभा में 'ग्रुप लीडर' पुराने
प्रदेश की 13वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में जहां कई दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा वहीं कई नए चेहरों ने भी बाजी मारी है। विधानसभा का नजारा बहुत कुछ बदल गया है, अगर नहीं बदला है तो तीन प्रमुख किरदार। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां फिर सत्ता की कमान सम्भाली है वहीं विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर ईश्वरदास रोहाणी बैठे हैं। इतना ही नहीं नेता प्रतिपक्ष की जवाबदारी जमुना देवी के ही हिस्से में आई है।
विधानसभा में यही तीन प्रमुख पद होते हैं जहां से राज्य की राजनीति तय होती है। तीनों अनुभवी हैं और विधानसभा में एक से अधिक बार पहुंचे हैं। लिहाजा तीनों का कौशल एक दूसरे पर भारी पड़ने की कोशिश करेगा, इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता।
वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद से बहुत कम ऐसे मौके आए हैं जब मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष अथवा नेता प्रतिपक्ष में से दो दोबारा चुनाव जीतकर सदन तक पहुंचे। यह पहला अवसर है जब तीनों मुखिया न केवल चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे हैं बल्कि उन्होंने वहीं जिम्मेदारी सम्भाली है जिसका निर्वहन उन्होंने पूर्व विधानसभा में किया था। पूर्व संसदीय कार्यमंत्री और विधायक नरोत्तम मिश्रा ने इस क्षण को मध्य प्रदेश की विधानसभा के लिए गौरवशाली बताया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने भी अपनी सहमति जताई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।