अम्लता और जलवायु परिवर्तन से ग्रेट बैरियर रीफ का अस्तित्व खतरे में
आस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेरिन साइंस(एआईएमएस) के वैज्ञानिक ग्लेन डेथ, जेनिस लॉफ और कैथरीना फैब्रिकस ने इस अध्ययन को पूरा किया है। उन्होंने आस्ट्रेलिया के इस विषालतम प्रवाल क्षेत्र पर अम्लता के बढ़ते खतरे का आकलन किया है। समुद्री अम्लता का स्तर इस पर निर्भर करता है कि हर साल प्रवालों द्वारा किस मात्रा में शारीरिक आवरण का त्याग किया जाता है।
प्रवाल ऐसी सामग्रियों से अपना शारीरिक आवरण तैयार करते हैं जो मीठे जल में आसानी से अपघटित हो सके। जब मीठे जल में अधिक मात्रा में वायुमंडलीय कार्बन डायऑक्साइड गैस घुल जाती है तो प्रवालों द्वारा शारीरिक आवरण तैयार करने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। इससे उनके असमय क्षरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
एआईएमएस कोरल कोर आर्काइव द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि अम्लता और जलवायु परिवर्तन प्रवाल भित्तियों के विनाश के कारण बनते जा रहे हैं। यह दुनिया की सबसे सुरक्षित कही जाने वाली पारिस्थितकीय प्रणाली के अस्तित्व पर आए खतरे की ओर इशारा है। यह क्षरण दर आज 1़5 फीसदी सालाना हो गई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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