क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मुंबई हमाला : जब जीने की आस छोड़ दी, तब बचा लिए गए

By Staff
Google Oneindia News

न्यूयार्क, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कुछ लोगों की किस्मत बार-बार उनका इम्तिहान लेती है। आस्ट्रेलिया के डेविड जैकब्स भी उन्हीं में से एक हैं।

मुंबई के ट्राइडेंट होटल में फंसे जैकब्स ने जब जीना चाहा तो उन्हें कोई सहारा नहीं मिला लेकिन जब उन्होंने जीने की आस छोड़ दी, तब उन्हें बचा लिया गया।

ये विधि का विधान नहीं तो और क्या है! जैकब्स ने जब अपनी जान बचानी चाही तो उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझा और जब उन्होंने अपने परिजनों को मोबाइल के जरिए 'अलविदा संदेश' भेज दिया तो भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें होटल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

'टाइम्स' पत्रिका के मुताबिक जैकब्स नई दिल्ली में काम करते हैं और घटना वाले दिन वे किसी काम के सिलसिले में मुंबई गए थे। घटना के वक्त वे ओबेराय ट्राइडेंट होटल में ठहरे थे।

होटल में जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, जैकब्स अपने कमरे की ओर भागे और खुद को अंदर से बंद कर लिया। वे दो दिनों (शुक्रवार तक) तक कमरे में ही बंद रहे।

दो दिनों तक वे कमरे में टीवी देखते रहे लेकिन इससे वे और अधिक भयभीत हो गए। उन्हें खास तौर पर यह सुनकर ज्यादा डर लगने लगा कि आतंकवादी अमेरिकी और ब्रिटिश लोगों को चुनकर निशाना बना रहे हैं।

जैकब्स के मुताबिक जब होटल के एक हिस्से में आग लग गई तब उन्हें लगा कि अब वे बच नहीं पाएंगे क्योंकि आग उनके कमरे के काफी करीब लगी थी।

अपने कमरे में धुआं भरता देख जैकब्स ने अपने स्तर पर बाहर निकलने का भरपूर प्रयास किया लेकिन वे कुछ नहीं कर सके। थक हारकर उन्होंने जीने की आस छोड़ दी और अपने परिवार को अलविदा कहने के लिए संदेश भेज दिया।

संदेश भेजने के कुछ देर बाद ही किसी ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। पूछने पर पता चला कि वे भारतीय कमांडो थे। जैकब्स ने जब दरवाजा खोला तो उन्हें यकीन हो गया कि अब वे बच गए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

**

देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X