परिजनों के दबाव में भारत नहीं लौट सकेंगे इंग्लिश खिलाड़ी
नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। सात मैचों की एकदिवसीय श्रंखला के बाकी बचे दो मैच रद्द किए जा चुके हैं। अब सबकी नजर इस बात पर लगी है कि इंग्लैंड की टीम टेस्ट श्रंखला खेलेगी या नहीं।
नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। सात मैचों की एकदिवसीय श्रंखला के बाकी बचे दो मैच रद्द किए जा चुके हैं। अब सबकी नजर इस बात पर लगी है कि इंग्लैंड की टीम टेस्ट श्रंखला खेलेगी या नहीं।
ईसीबी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) टेस्ट श्रंखला को नियत समय पर आयोजित करने को लेकर जोरदार प्रयास कर रहे हैं। दोनों बोर्डो ने इसके सफल आयोजन को लेकर शुक्रवार को संयुक्त बयान जारी किए लेकिन इंग्लिश खिलाड़ियों के नहीं लौटने की स्थिति में उनके प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे।
ईसीबी के प्रबंध निदेशक हग मौरिस ने स्वीकार किया है कि ईसीबी पर टेस्ट श्रंखला को संपन्न कराने का जबरदस्त दबाव है लेकिन मौरिस को इस बात का भी अहसास होगा कि स्वदेश लौटते ही खिलाड़ियों पर उनके परिवार का दबाव बढ़ जाएगा। जाहिर तौर पर यह दबाव भारत नहीं जाने को लेकर होगा और खिलाड़ी इसके आगे बेबस हो जाएंगे।
इसका एक बड़ा कारण है। इंग्लैंड में प्लेअर्स एसोसिएशन काफी मजबूत है। लंबे समय से प्लेअर्स एसोसिएशन खिलाड़ियों के हितों की लड़ाई लड़ता आ रहा है। इसके अध्यक्ष सीन मौरिस ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से आश्वासन मिलने के बाद ही खिलाड़ी भारत जाएंगे लेकिन मौरिस को इस बात का अंदाजा होगा कि खिलाड़ियों के परिजनों के दबाव में उन्हें भी टीम को भारत न भेजने की वकालत करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
यह महज अंदाजा नहीं है। आस्ट्रेलिया में ऐसा हो रहा है। वहां के प्रमुख समाचार पत्र 'द आस्ट्रेलियन' ने खबर दी है कि मुंबई में हुई हमले के बाद आस्ट्रेलिया के कई प्रमुख खिलाड़ियों के परिजनों, खासकर पत्नियों ने वहां के प्लेअर्स एसोसिएशन पर खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग तथा चैंपियंस लीग के लिए भारत न जाने देने की वकालत करने का दबाव डाला है।
खिलाड़ियों के परिजन व्यक्तिगत तौर पर खिलाड़ियों पर भी दबाव डाल रहे हैं। ऐसे में यह दोतरफा दबाव बीसीसीआई, ईसीबी, क्रिकेट आस्ट्रेलिया (सीए), इंडियन प्रीमियर लीग तथा चैंपियंस लीग की आयोजन समिति के प्रयासों पर पानी फेर सकता है।
इस संबंध में इंग्लैंड के कप्तान केविन पीटरसन के उस बयान को याद रखना बहुत जरूरी हो गया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सुरक्षा की गारंटी के बाद वे अपने साथियों के साथ भारत जाने को तैयार हो सकते हैं लेकिन किसी भी खिलाड़ी को जबरन भारत नहीं भेजा जा सकता।
मुंबई हमले का असर इतना व्यापक है कि बीसीसीआई की कार्यक्रम निर्धारण समिति के अध्यक्ष ललित मोदी के सिर्फ इतना कहने पर इंग्लिश मीडिया बुरी तरह भड़क गई है कि इंग्लैंड टीम को टेस्ट श्रंखला के लिए भारत आना चाहिए। इंग्लिश के समाचार पत्र 'डेली टेलीग्राफ' ने मोदी को आड़े हाथों लेते हुए लिखा है कि लगता है कि मोदी मानवता के उसूल भूल गए हैं या फिर डॉलरों की चमक ने उन्हें अंधा कर दिया है।
जाहिर तौर पर खिलाड़ी काफी डरे हुए हैं। यह घटना उन घटनाओं की तरह नहीं है, जिनका असर एक या दो दिनों का रहा है। इस घटना का प्रभाव भारत के साथ-साथ विश्व क्रिकेट की दिशा बदल सकता है। इसका अंदाजा क्रिकेट के हुक्मरानों को है। यह अलग बात है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की ओर से इस संबंध में कोई बयान नहीं आया है लेकिन खलबली तो वहां भी मची ही होगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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