फिर लौटी पारंपरिक आभूषणों की चमक
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। राजतंत्र भले ही आज कमजोर हो चुकी हो, लेकिन शाही आभूषणों की चमक आज भी फीकी नहीं हुई है।
पिछले पांच वर्षो में आभूषणों के व्यवसाय में काफी बदलाव आया है। एक बार फिर पारंपरिक आभूषण पसंद किए जाने लगे हैं। इनकी मांग भारत में विशेष रूप से बढ़ी है।
यूरोप और मध्य पूर्व में स्थित सूथबीज के आभूषणों के अध्यक्ष डेविड बेनेट ने आईएएनएस से कहा कि विशेष तरह के पारंपरिक आभूषणों को आज कला और कीमत दोनों ही तरह से खास माना जा रहा है।
बेनेट राजधानी में आयोजित ऑटम 2008 सेल के दौरान गुरुवार को इस संबंध में बता रहे थे।
इस समारोह में रूबी, कश्मीरी नीलमणि, पन्ना, मोती, राजस्थानी चोकर के बेशकीमती आभूषण भी मौजूद थे। इनके अलावा वहां मौजूद 18वीं-19वीं शताब्दी के आभूषण विशेष रूप से सबका मन मोह रहे थे। इनकी कीमत 2 से लेकर 90 लाख डॉलर तक लगाई गई है।
सूथबीज के अनुसार भारत में मौजूद पारंपरिक आभूषणों में से एक भारी-भरकम होती है, जिसे विवाह के दौरान पहनने के लिए तैयार किया जाता है, जबकि दूसरा, हल्का और अन्य समरोहों के लिए डिजाइन करके तैयार किया जाता है। भारतीय आभूषणों के डिजाइनों पर यूरोपीय देशों की शैली का प्रभाव भी देखने को मिलता है।
'अंडरस्टैंडिंग ज्वेलरी' पुस्तक के लेखक मानते हैं कि विश्व में आभूषणों की परंपरा को आगे बढ़ाने में उसकी गुणवत्ता और समृद्ध इतिहास का विशेष योगदान होता है। सीमित मात्रा में इनकी उपलब्धता इन पारंपरिक आभूषणों की कीमत को बढ़ा देती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।