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नैना देवी हादसा : शवों को सौंपने का काम शुरू (लीड-1)

By Staff
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आनंदपुर साहिब (पंजाब), 4 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचलप्रदेश स्थित नैना देवी मंदिर में रविवार के हादसे में अपने बच्चों को खो चुकीं मांओं की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे और दुख से बेहाल लोग अपनों की तलाश में भटक रहे हैं,जबकि आनंदपुर साहेब अस्पताल में चिकित्सक घायलों के इलाज और शवों के पोस्टमार्टम में जुटे हैं।

आनंदपुर साहिब (पंजाब), 4 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचलप्रदेश स्थित नैना देवी मंदिर में रविवार के हादसे में अपने बच्चों को खो चुकीं मांओं की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे और दुख से बेहाल लोग अपनों की तलाश में भटक रहे हैं,जबकि आनंदपुर साहेब अस्पताल में चिकित्सक घायलों के इलाज और शवों के पोस्टमार्टम में जुटे हैं।

सोमवार सुबह आनंदपुर साहिब के नागरिक अस्पताल में यही नजारा आम है। हादसे में मारे गए 145 लोगों में से अब तक 130 के शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है और पुलिस ने सोमवार सुबह मृतकों के परिजनों को शव सौंपना शुरू कर दिया। इस हादसे में करीब 40 लोग घायल हो गए थे।

मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। मंदिर में चट्टान खिसकने की अफवाह के कारण श्रद्धालुओं में आतंक फैल गया था और वहां भगदड़ मच गई थी। मरने वाले ज्यादातर लोग पंजाब के रहने वाले हैं।

पटियाला के पत्रा गांव के बलबीर सिंह ने आईएएनएस से कहा, "मेरे भाई का पूरा परिवार तबाह हो गया। भगदड़ में मेरे तीनों भतीजों की मौत हो गई। मैं उनके साथ मंदिर के दर्शन के लिए आया था। मुझे नहीं पता कि घर वापस लौटने पर मैं अपने परिवार का सामना कैसे करूंगा।"

हादसे में 39 बच्चे और 30 से ज्यादा महिलाएं मारी गईं। शवों को ट्रकों के जरिए पंजाब स्थित आनंदपुर साहिब अस्पताल लाया गया, जहां के स्थानीय अस्पताल के चिकित्सक रात भर शवों का पोस्टमार्टम करते रहे।

अस्पताल में लाए जा रहे शवों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि उन्हें रखने की जगह कम पड़ गई और ज्यादातर शवों को बरामदों में ही रखने के लिए बाध्य होना पड़ा।

खराब मौसम और विभिन्न एजेंसियों में ताल-मेल नहीं होने की वजह से राहत अभियान में बाधा आई।

आनंदपुर साहिब अस्पताल के दौरे पर आए हिमाचलप्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने कहा कि इस हादसे में 140 लोग मारे गए हैं।

अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी अशोक शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि प्रति घंटे 25-30 शवों का पोस्टर्माटम किया गया। इसके लिए चिकित्सकों की 10 टीमें बनाई गईं। आसपास के कस्बों से भी चिकित्सकों को भी बुलाना पड़ा।

चिकित्सकों ने बताया कि सोमवार तड़के तक 130 शवों के पोस्टमार्टम का काम पूरा हो चुका है और उन्हें उनके परिजनों को सौंपने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा 16 शवों की शिनाख्त अभी तक नहीं हो सकी है।

अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि रविवार अपराह्न् दो बजे से शवों को अस्पताल लाने का सिलसिला जारी हो गया था।

हिमाचलप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डी.एस. मनहस ने शिमला से आईएएनएस को बताया कि मंदिर में भगदड़ चट्टान खिसकने की अफवाह फैलने की वजह से मची। इससे श्रद्धालुओं में आतंक फैल गया और इसी अफरा-तफरी में एक सुरक्षा अवरोधक भार नहीं सह पाने के कारण ढह गया।

कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मंदिर में पुलिस का बहुत कम इंतजाम था और पुलिसकर्मी सिर्फ "लोगों पर लाठियां भांजने और थप्पड़ लगाने में" व्यस्त थे।

फतेहाबाद से आए बलि सिंह ने बताया, "जब मैंने मदद मांगी, एक पुलिस वाले में मुझे एक झापड़ रसीद कर दिया। उसके बाद अन्य पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। इसके बाद हालात और भी बदतर हो गए। अगर पुलिस लोगों की मदद करती तो इतनी ज्यादा संख्या में लोग हताहत नहीं होते।" इस हादसे में बलि सिंह की दो पुत्रियां मारी गईं।

हिमाचलप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि पुलिस बल की पर्याप्त संख्या में मौजूदगी नहीं होने तथा श्रद्धालुओं को पुलिसकर्मियों द्वारा पीटे जाने की शिकायतों की जांच कराई जाएगी। धूमल ने कहा, "जांच के बाद ही हम कोई कार्रवाई करेंगे।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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