शवों के पोस्टमार्टम को तैयार हुए गुर्जर
जयपुर, 1 जून (आईएएनएस)। गुर्जर समुदाय अपनी जिद में आज कुछ नरमी लाते हुए पिछले दस दिनों के हिंसक आंदोलन में मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम कराने को तैयार हो गए।
राज्य गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को जानकारी दी, "गुर्जरों की मांग पर हम बयाना और सिकंदरा में शवों के पोस्टमार्टम के लिए एक दल रवाना कर रहे हैं। उन्होंने (गुर्जरों ने) मांग रखी है कि पोस्टमार्टम के दौरान दो गुर्जर डाक्टर भी मौजूद रहें। हमने यह मांग मान ली है।"
अधिकारी ने बताया, "हमारी सूचना के अनुसार 12 शव बयाना में और छह सिकंदरा में हैं।" शवों को तेज गर्मी में खराब न होने देने के लिए बर्फ की सिल्लियों के बीच सुरक्षित रखा गया है।
दस दिन पहले यानी 23 मई को शुरू हुए गुर्जर आंदोलन के बाद मारे गए व्यक्तियों के शव गुर्जरों के कब्जे में है। वह अब तक उनके पोस्टमार्टम या अंतिम संस्कार करने से मना करते आए थे। अब तक की हिंसा में 39 लोग मारे जा चुके हैं।
पोस्टमार्टम कराने की इजाजत देने के बावजूद अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल किए जाने को लेकर गुर्जरों और राज्य सरकार के बीच कटुता कायम है। आज भी राजस्थान के अनेक हिस्सों में तनावपूर्ण हालात जारी रहे। दौसा जिले के सिकंदरा में 300 गुर्जरों ने जयपुर-आगरा राजमार्ग रोके रखा।
उधर भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर और करौली जिलों में सेना और अर्धसैन्य बलों की गश्त जारी है।
गुर्जर संघर्ष आरक्षण समिति के प्रमुख के. एस. बैंसला ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किए जाने को लेकर एक पत्र केंद्र को भेजे। बातचीत उसके बाद ही होगी।"
उल्लेखनीय है कि गुर्जर नेता बैंसला और उनके कई साथी बयाना शहर के निकट धुमड़िया स्टेशन के रेलमार्ग पर धरना दिए बैठे हैं।
पारंपरिक तौर पर मवेशी पालन से जुड़े गुर्जरों को राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा प्राप्त है, लेकिन बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसरों के लिए वह अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।