गुर्जर आंदोलन के कारण कलेक्टरों को मिले अतिरिक्त अधिकार (लीड)
जयपुर/बयाना, 27 मई (आईएएनएस)। राज्य में गुर्जर आंदोलन के मद्देनजर आंदोलन से प्रभावित 15 जिलों में कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की शक्तियां प्रदान की गई हैं। आंदोलनकारियों ने आज भी राज्य के विभिन्न जिलों में रेल और सड़क यातायात में बाधा पहुंचाई।
प्रमुख शासन सचिव (गृह) वी. एस. सिंह ने कहा कि ये शक्तियां अजमेर, अलवर, बारां, भरतपुर, भीलवाड़ा, झुंझुनू, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर और टोंक के कलेक्टरों को प्रदान की गई है। इस बीच 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 40 वाहनों को जब्त किया गया है। अब तक आंदोलन के सिलसिले में विभिन्न थानों में लगभग पचास मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
प्रशासन ने सड़कों पर लगे जाम से निपटने के लिए वैकल्पिक मार्ग निकालकर रास्ता खोल दिया है। प्रशासन ने यह कदम टोंक जिले के घास गांव, थाना गाजी में नटनी का बांस और खेंडली में लगे जाम के कारण से यह वैकल्पिक व्यवस्थाएं की हैं।
अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग कर रहा गुर्जर समुदाय मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र से संतुष्ट नहीं हैं।
'गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति' के प्रमुख किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा, "आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए सिफारिश पत्र से हम संतुष्ट नहीं हैं। हम संविधान की धारा 342 के तहत राज्य सरकार से गुर्जरों के लिए आरक्षण चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने जो पत्र प्रधानमंत्री को भेजा है उसमें सभी सिफारिशें पुरानी हैं।"
गौरतलब है कि राजे ने कल प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र भेजा था। साथ ही उन्होंने गुर्जर आंदोलन से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की भी अपील की थी।
राज्य में तनाव को कम करने के लिए राजे के इस कदम का गुर्जरों पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। गुर्जर आंदोलनकारी जयपुर-आगरा, जयपुर-अलवर, जयपुर-कोटा और जयपुर-दौसा राजमार्ग पर यातायात में व्यावधान पहुंचा रहे हैं।
गुर्जर नेता रणबीर चंडाला ने धमकी दी है कि अगले दो दिनों में दिल्ली को दुग्ध आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। उन्होंने कहा, "हम अपने नेताओं के मार्गदर्शन में आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। हमने राज्य के दस जिलों में बंद का ऐलान किया है।"
हजारों समर्थकों के साथ बैंसला विगत पांच दिनों से पिपलुपरा गांव में रेलवे पटरियों पर डेरा डाले हुए हैं। आगे की रणनीति को लेकर गुर्जर नेताओं के बीच लगातार बैठकें हो रही है। गौरतलब है कि राज्य में अभी तक हुई हिंसा में 37 लोगों की मौत हो चुकी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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