कल को बचाने के लिए दुनिया के पास कुछ भी नहीं बच सकेगा : मेनका गांधी
ब्रसेल्स, 27 मई (आईएएनएस)। भारतीय सांसद और पर्यावरण कार्यकर्ता मेनका गांधी ने कहा है कि हमारे पास कल को बचाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने एक ऐसी दुनिया बनाने की अपील की, जहां कार्बन का उत्सर्जन नहीं हो।
यहां सोमवार को 'इनर्जी ग्लोब अवार्ड' समारोह से पहले मेनका गांधी ने ये बातें कही। 'ईयून्यूज एशिया' की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि विश्व की तमाम कंपनियां और विज्ञापन एजेंसियां 'पर्यावरण' शब्द का प्रयोग फैशन की तरह कर रही हैं। गांधी ने कहा कि सरकारें पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं हैं, जिससे विश्व धीरे-धीरे विनाश की ओर बढ़ता जा रहा है।
गांधी ने कहा, "हम खतरे के निशान के नजदीक पहुंच गए हैं। जब हम उठेंगे तो हमारे पास कल के लिए कुछ नहीं बचेगा।" गौरतलब है कि गांधी इस वर्ष के 'इनर्जी ग्लोब अवार्ड' की जूरी की अध्यक्ष भी हैं। यह सम्मान यूरोपीय संसद द्वारा दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन के रोकथाम के लिए कदम बढ़ाने में यूरोपीय संघ सबसे आगे है। उन्होंने कहा, "वर्ष 2006 की तुलना में वर्ष 2008 में कार्बन उत्सर्जन में बढ़ोतरी हुई है। इस क्षेत्र में अमेरिका और एशिया की स्थिति सबसे खराब है।"
पूर्व सोवियत संघ के राष्ट्रपति रहे मिखाइल गोर्बाचव ने कहा कि वायु, समुद्र, नदी, जंगल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को लेकर कोई भी देश गंभीरता से विचार नहीं कर रहा है।
जैव ईंधन को लेकर जूरी सदस्यों के बीच मतभेद था। हालांकि, गांधी ने इसका समर्थन किया। उन्होंने तेल के बढ़ते मूल्यों के मद्देनजर जैव ईंधन को विकल्प के तौर पर उपयोग करने की बात कही। सदस्यों ने परमाणु ऊर्जा को लेकर भी चर्चा की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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